धरती का सीना चीर दिखाता अन्न के दाने बोता है दिन रात पसीना है बहाता खेतों में उगाता सोना है - शशि देवली गोपेश्वर चमोली उत्तराखण्ड

 💐💐किसान💐💐


तपती हुई दुपहरी हो चाहे

या हो शीत लहर की रात

चल देता वो नंगे पैर भी

लेकर हल बैलों को साथ।


धरती का सीना चीर दिखाता

अन्न के दाने बोता है

दिन रात पसीना है बहाता

खेतों में उगाता सोना है।


देश में हरियाली महकती

जय किसान गूंजता नारा है

उस किसान का साथ निभाना

अब ये फर्ज हमारा है।


घर आंगन न देखे वो

खेतों में बिताए दिन रैना

बालियां झूमते देखे जब

तब आये किसान को चैना।


आज बाजारों ने लूट लिया

कुछ भरमाया सरकारों ने

खून - पसीने की कमाई को

नीलाम किया साहूकारों ने।


बीच बिचौलिए धोखा करते

आन्दोलन सड़कों पर हो रहा

उसकी मेहनत उसकी ताकत

वो ही सड़क पर रो रहा।


अब तो सुध ले लो जी कोई

आंख मूंद न सोओ तुम

जो मिटाता है भूख तुम्हारी

उसको ऐसे न खोओ तुम।


एक गुहार तुमसे भी दाता

सुन लेना उसकी फरियादें

अन्न धन बरसाने वाले की

कर देना पूरी सारी मुरादें।



शशि देवली 

गोपेश्वर चमोली उत्तराखण्ड