चोपता में बर्फबारी के बाद पर्यटकों की बढ़ी आमद, टिंगरी बुग्याल भी पहुंचने लगे पर्यटक - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

 ऊखीमठ  : मौसम के तापमान में कमी आते ही प्रकृति प्रेमियों के जोश का पारा चढ़ता जा रहा है। चोपता में नये साल के आगमन से लेकर अब तक सारे होटल, रेस्टोरेंट बुक हैं। ऐसे में कुछ पर्यटकों ने आस-पास के प्राकृतिक स्थलों के बारे में जानकारी जुटाई तो उन्हें टिंगरी बुग्याल के बारे में पता चला। ऊखीमठ-मनसूना मोटरमार्ग पर बुरूआ से दस किमी का पैदल ट्रेक तय करने के बाद टिंगरी बुग्याल पड़ता है। इस बुग्याल की खासियत यह है कि इसके सामने चैखम्बा का विहंगम दृश्य दिखता है। पर्यटक यहां पहुंचकर प्रकृति का आनंद ले रहे हैं।


ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फवारी होने से सैलानी पर्यटक स्थलों की ओर रूख कर रहे हैं। मिनी स्विटजरलैंड से विख्यात चोपता में न्यू ईयर से अब तक सैलानियों की भरमार है। यहां भारी मात्रा में बर्फ गिरी है, जिस कारण इस स्थान पर सैलानियों का आना-जाना लगा हुआ है। चोपता-दुगलबिट्टा में होटल एवं रेस्टोरेंट सब फुल चल रहे हैं। जिस कारण सैलानियों को यहां रूकने में काफी दिक्कतें हो रही है और अन्य जगहों की तलाश में जुट रहे हैं। चोपता में देश के विभिन्न राज्यों से सैलानी पहुंच रहे हैं। पर्यटकों ने बताया कि चोपता के बारे में पता करने पर जानकारी मिली कि यहां सारे होटल साल के पहले हफ्ते से बुक चले रहे हैं। इसलिए उन्होंने आस पास के ऐसे ही स्थानों के बारे में पता किया तो उन्हें टिंगरी बुग्याल के बारे में जानकारी मिली। वे देहरादून से ऊखीमठ पहुंचे और फिर यहां से मनसूना के नजदीक बुरूआ गांव पहुंचे। पहले दिन उन्होंने बुरूआ गांव को अपना बेस कैम्प बनाया। दूसरे दिन बुरुआ गांव से टिंगरी के लिए प्रस्थान किया। बताया कि इस बार उन्होंने चोपता के बजाय इस नये स्थान का चुनाव किया, जो किसी भी मामले में उनका बेहतर निर्णय साबित हुआ। दोस्तों के साथ जब उन्होंने इस ट्रिप का मन बनाया तो टिंगरी बुग्याल को लेकर बहुत सी आशंकाएं थी, लेकिन यहां पहुंचकर लगा कि उत्तराखंड की धरती वास्तव में बहुत सुन्दर है। पर्यटक दल ने इस बात पर चिंता जताई कि धीरे-धीरे हमारे जंगलों की जैव विविधता में कमी आ रही है। टीम के सदस्य इसका एक बडा कारण अवैज्ञानिक ढंग से किये जा रहे विकास कार्यों को मानते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यटकों द्वारा बहुत सारा अजैविक कूड़ा भी पर्यटक स्थलों पर छोड़ा जा रहा है। 


टीम के प्रत्येक सदस्य ने यात्रा ट्रैक पर बिखरे अजैविक कूड़े को भी इकट्ठा कर नजदीकी कूड़ेदानों में डाला। पर्यटकों ने बताया कि इस ट्रैक पर बांज, बुरांश, खर्सू, मोरू, पामणी, देवदार के वृक्षों की बहुतायत है। जहां अनेक जंगली जानवरों और पक्षियों की बोली और चहचहाहट बरवस ही मन मोह लेती है। टीम ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को स्थानीय पढ़े लिखे युवक और युवतियों को पर्यटन गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, जिससे रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के साथ साथ जैव विविधता को भी बरकरार रखा जा सके। दल ने अपने रोचक अनुभवों में बताया कि अपने पास उपलब्ध पानी समाप्त हो जाने पर उन्होंने बर्फ को पिघलाकर पानी बनाते समय पानी की उपयोगिता को गहराई से समझा। दल ने बताया कि वे अब जल संरक्षण के लिए भी कुछ नया करना चाहते हैं, ताकि आम से खास नागरिक को पानी के महत्व व संरक्षण को लेकर जागरूक किया जा सके। बैग्लौर, पुणे, भीमताल, देहरादून से टिगरी बुग्याल पहुंचे सैलानियों ने बताया कि मदमहेश्वर घाटी के बुरुवा गाँव से लगभग 10 किमी पैदल ट्रेक से टिगरी बुग्याल पहुंचा जा सकता है तथा टिगरी बुग्याल से चौखम्बा पर्वत देखने से मनुष्य मंत्रमुग्ध हो जाता है। पर्यटकों ने बताया कि टिगरी बुग्याल से लगभग 10 किमी दूर विसुणीताल है जिसको प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है।