गोपेश्वर साहित्य परिषद् द्वारा "गढ़वाली काव्य गोष्ठी - हिंवाली कांठी" का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया गया। जिसमें गोपेश्वर से शशि देवली, दीपक सती "प्रसाद", ऋतिक सती, राजा तिवारी, हिमांशु थपलियाल, कर्णप्रयाग से किरन पुरोहित "हिमपुत्री", जोशीमठ से भगत सिंह राणा "हिमाद", रुद्रप्रयाग से नंदन राणा "नवल" एवं चम्पावत इकाई से दीपा पांडेय ने गढ़वाली एवं कुमाऊनी में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि टिहरी राजपरिवार के कुंवर भवानी प्रताप सिंह रहे, जिन्होंने कार्यक्रम की सराहना के साथ ही अपने द्वारा किए जा रहे प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण एवं संवर्धन के विषय में जानकारी दी।
विशिष्ट अतिथि नवांकुर साहित्य संस्था के संस्थापक नंदन राणा जी ने काव्य गोष्ठी की समीक्षा के साथ ही उत्तराखण्ड की बोली भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान एवं गढ़वाली के मानकीकरण में विविधताओं का ध्यान रखने की बात कही। कार्यक्रम अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष सुनील पाठक ने गढ़वाली का वैदिक संस्कृत की पुत्री के रूप में विश्लेषण किया। काव्य गोष्ठी का नेतृत्व दीपक सती "प्रसाद" ने किया एवं कार्यक्रम का संचालन हिमांशु थपलियाल ने किया।