उर्गमघाटी के जाख राजा 15 दिनों के लिए क्षेत्र भ्रमण पर - रघुबीर नेगी उर्गमघाटी

रिपोर्ट रघुबीर नेगी


उर्गम घाटी के आराध्य श्री जाख राजा की रथयात्रा मकर सक्रांति के पावन पर्व पर भूमि क्षेत्रपाल घंटाकर्ण के सानिध्य में प्रारम्भ हो गयी है। आज 14 जनवरी को घंटाकर्ण की मौजूदगी में जाख देवता रथ यात्रा के लिए गर्भगृह से बाहर आकर भक्तों को 15 दिनों तक दर्शन देंगे और अपनी धियाणियों की कुशलक्षेम पूछने जायेंगे। पैनखंडा पट्टी समेत गढ़वाल के विभिन्न गांवों में जाख राजा की रथयात्रा होती है। अधिकांश गांवों में जाख राजा की रथयात्रा 6 माह की होती है जिसे देवरा यात्रा कहा जाता है, उर्गम घाटी के जाख 





 देवता की रथयात्रा केवल 15 से 20 दिनों की होती है जो केवल उर्गम घाटी के गांवों एवं डुमक कलगोठ तक होती है। 60 भाई जाखों में सबसे जैष्ठ भ्राता सूदूरवर्वी क्षेत्र डुमक गांव में है तथा सबसे छोटे भ्राता का मंदिर चनाप घाटी के थैंग गांव में विराजमान है। अन्य पैनखंडा समेत विभिन्न गांवों में हैं। अधिकतर गांवों में जाख राजा वहां के भूमि क्षेत्रपाल है जो राजस्व कर वसूलने जाते हैं 4 वर्षो के उपरांत उर्गम घाटी के भूमियाल  घंटाकर्ण की छत्रछाया में जाख राजा की रथयात्रा शुरू हो गयी है।अपने गर्भगृह से जाख राजा सर्वप्रथम घंटाकर्ण से मिलने उनके मंदिर पहुंचे। देवमिलन के पश्चात आज से जाख राजा देवखोला में रात्रि विश्राम करेंगे। तीसरे दिन भर्की भूमियाल से मिलने भर्की गांव जायेंगे। इसके बाद उर्गम घाटी के गांवों का भ्रमण करेंगे। इस बार जाख राजा की रथयात्रा उर्गम घाटी के युवा पीढ़ी के कन्धों पर है जो आज भी अपनी अनमोल विरासत को संवार रहे हैं। इस अवसर पर पश्वा  महाबीर राणा, भवान सिह पवांर, चन्द्र प्रकाश, हर्षवर्धन चौहान, रितिक चन्द्र,मोहन, अभिषेक, पुष्कर, संदीप चौहान, मान सिंह, अध्यक्ष राजेन्द्र रावत,गणियां कुवंर सिह समेत उर्गम घाटी के सभी जनप्रतिनिधि मौजूद थे।