योजनाओं में प्राप्त धनराशि का समय से सदुपयोग करें : प्रभारी मंत्री

 अधिकारी तत्परता से कार्य करें

विभिन्न योजनाओं में प्राप्त धनराशि का समय से सदुपयोग करें तथा रोजगार परक योजनाओं पर विशेष ध्यान दें। यह निर्देश जनपद  प्रभारी मंत्री  उच्च शिक्षा, सहकारिता, प्रोटोकॉल एवं दुग्ध विकास मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जिला कार्यालय सभागार में समीक्षा बैठक लेते हुये दिये। जनपद प्रभारी मंत्री ने जिला योजना, राज्य सेक्टर,केन्द्र पोषित योजनाओें की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने कड़े निर्देश दिए कि जो विभाग समय से कार्य पूर्ण नहीं कर पाते, अगले वर्ष से उनके बजट में कटौती की जाएगी। साथ ही जिन विभागों द्वारा समय से कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा उन्हें प्रोत्साहन के रुप में बजट बढ़ाकर दिया जाएगा। उन्होने कहा कि कृषि, उद्यान, पशुपालन, लद्यु उद्योग, डेयरी अन्य विकास विभाग रोजगार परक योजनाओं मे विशेष ध्यान दे तथा मनरेगा के साथ युगपतिकरण कर कार्य करें । उन्होंने समस्त विकास विभागों को जनपद में अच्छे कार्यों का एक प्रेजेंटेशन तैयार करने, मनरेगा के तहत सभी श्रमिक कार्य दिवस को पूर्ण कर पाए, इस पर कार्य योजना तैयार करने, मनरेगा में 90 कार्य दिवस पूर्ण करने वाले श्रमिकों को श्रम विभाग में पंजीकृत कर योजना का लाभ देने,  निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए। 



 

इस अवसर पर बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत इस वर्ष की  हाईस्कूल व इंटर की बोर्ड परीक्षा में मेरिट में स्थान प्राप्त करने वाली 20 मेधावी बालिकाओं को  प्रशस्ति पत्र, किताब व मोमेंटो देकर सम्मानित किया। समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी श्री मनुज गोयल ने बताया कि जनपद में जिला योजना के अन्तर्गत 38.71 करोड अनुमोदित परिव्यय के सापेक्ष शासन से 31.99 करोड जनपद को प्राप्त हुये हैं जिसके सापेक्ष 20.34 करोड व्यय हुये है। इसी तरह राज्य सेेक्टर में 101.09 करोड के सापेक्ष 59.95 करोड अवमुक्त हुआ है जिसमें से 49.95 करोड व्यय हुये हैं। केन्द्र पोषित सेक्टर में 186.67 करोड के सापेक्ष 98.21करोड के सापेक्ष 91.31 करोड व्यय हुये हैे।  उन्होने बताया कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत 200 लक्ष्य के सापेक्ष 300 आवेदन प्राप्त हुए थे जिसमें से 135 प्रार्थना पत्रो पर बैंकों द्वारा ऋण स्वीकृत करते हुये 94 प्रार्थना पत्रो पर ऋण वितरित कर दिया गया है।  साथ ही प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंर्तगत 97 लक्ष्य के सापेक्ष 250 आवेदन प्राप्त हुए थे जिसमें से 154 प्रार्थना पत्रो पर ऋण स्वीकृत करते हुये 75 प्रार्थना पत्रो पर ऋण वितरित कर दिया गया है।

जिलाधिकारी ने बताया कि स्वरोजगार क्षेत्र में उद्यान, पशुपालन, दुग्ध आदि विभागों द्वारा प्रशंसनीय कार्य किया जा रहा है। उद्यान विभाग द्वारा ऊखीमठ की उद्यान नर्सरी को हॉर्टी-टूरिज्म हब के रूप में विकसित किया जा रहा है जिसमे 04 होम स्टे का निर्माण भी किया जाएगा। इन होम स्टे को स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के माध्यम से संचालित करने की योजना हैं। कृषि विभाग द्वारा स्वयं सहायता समूह को कृषि यंत्र वितरित किये गए है जिससे गाँव के सभी व्यक्ति लाभ उठा सके। पशुपालन विभाग द्वारा 02 हजार लाभार्थियों को कुक्कुट पालन की यूनिट दी जा रही है।

बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, विधायक रुद्रप्रयाग भरत सिंह चौधरी, भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल, पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह, मुख्य विकास अधिकारी भरत चन्द्र भट्ट, प्रभागीय वनाधिकारी वैभव कुमार ,जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, एपीडी रमेश कुमार,   कृषि अधिकारी सुघर सिंह वर्मा, मुख्य उद्यान अधिकारी योगेंद्र सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 रमेश सिंह नितवाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी सी ऐन काला, डीएसटीओ एस के गिरी, सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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काली शिला की पूजा-अर्चना से मनुष्य को अभीष्ट फल मिलता है - ऊखीमठ से लक्ष्मण नेगी की खास रिपोर्ट : ऊखीमठ - देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरती धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से साधना के क्षेत्र में अपना सर्वोत्कृष्ट स्थान रखती है, वास्तव में सिद्धि पाने के लिए साधना सदा शान्त, एकान्त और सिद्ध स्थलों में ही लाभप्रद होती है। वेदव्यास की चिन्तन भूमि, पाण्डवों का स्वर्गारोहण, उद्वव की तपस्थली, राजा भगीरथ की साधना स्थली, आदिगुरु शंकराचार्य को प्रेरणा देने वाली और महाकवि कालिदास को जन्म देकर विश्व विख्यात बनाने वाली यह हिमालय की पावन धरती है, इसलिए हिमालय के उत्तराखण्ड को तपस्या के लिए सभी तपस्वियों ने चयन किया है। देवभूमि उत्तराखंड वास्तव में ऐसी मुख्य रमणीक देव स्थली है जहाँ कनखल सती कुण्ड से लेकर 12 हजार फीट के उतंग शिखरों पर शक्तिदात्री माँ के अनेक सिद्धपीठ विधमान हैं। यदि मानव के ह्दय में इन सिद्धपीठों के प्रति विश्वासमयी भावना हो तो जगत जननी माँ के दर्शन किसी न किसी रुप में किये जा सकते हैं। इसलिए शक्ति की साधना को ही समस्त कार्यो की सिद्धि माना जाता है! माँ जगत जननी की महिमा का वर्णन ऋषि मुनियों ने भी बड़ी गहनता से किया है तथा सर्व शक्तिमान देवताओं को भी सदा ही अपनी विपदाओं के निवारणार्थ इसी आध्या शक्ति की ही उपासना करनी पडी है।परम पिता भगवान शंकर व जगत जननी मोक्षदायिनी माँ भवानी की इस तपोभूमि उत्तराखंड के कण - कण में अवस्थित देवी के शक्तिपुजो में जो मानव अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है वह व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोग कर अन्त में मोक्ष को प्राप्त कर युगों तक शिवलोक में पूजनीय होता है। केदार घाटी के अन्तर्गत सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोस दूर विशाल पर्वत पर विराजमान भगवती काली का तीर्थ काली शिला नाम से विश्व विख्यात है। इस तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला है तथा विशाल शिला पर 64 यंत्र विधमान हैं, भगवती काली शिला की पूजा करने से अखिल कामनाओं व अर्थों की पूर्ति होती है। काली शिला तीर्थ मधु गंगा व सरस्वती नदियों के मध्य विशाल पर्वत पर है! भगवती काली शिला मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी मानी जाती है! मदमहेश्वर घाटी के राऊलैक तथा कालीमठ घाटी के ब्यूखी गाँव से पैदल मार्गों से सिद्धपीठ काली शिला पहुंचा जा सकता है। इस तीर्थ में भगवती काली के मन्दिर की पूजाये देव स्थानम् बोर्ड तथा विशाल शिला की पूजा स्थानीय हक - हकूकधारियों द्वारा की जाती है।भगवती काली शिला की महिमा का वर्णन क्रूम पुराण के अध्याय 56 के श्लोक संख्या चार में शिलातले मदं न्यस्त नास्तिकानां शब्दों में किया गया है जबकि महाकवि कालिदास ने भी काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन गहनता से किया है। स्कन्ध पुराण के केदारखण्ड के अध्याय 89 के श्लोक संख्या 40 से 49 में काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन विस्तार से किया गया है, केदारखण्ड में कहा गया है कि सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोश दूर पर्वत पर रणमण्डना नाम से महादेवी हैं! वहाँ जाने पर मनुष्य स्वस्थ देवीलोक को प्राप्त करता है। शरद व बसन्त ऋतुओं के नवरात्रों में जो मनुष्य भक्ति पूर्वक भगवती काली को नैवैध चढा़ता है वह देव लोक में युगों तक पूजनीय होता है तथा वह घुंघरूओं के समूह की माला से युक्त उत्तम विमान पर सवार होकर चारों ओर अप्सराओं के समूह, गन्धवों,सिद्धों और किन्नरो से शोभायमान हो सूर्य मण्डल का भेद करके मुनिवरो के अभीष्ट एवं दु:ख रहित ब्रह्मलोक को जाता है। यह तीर्थ समस्त पापों का शमन करने वाला और सकल उपद्रवों का नाश करने वाला है! नित्य दान करने वाले मनुष्यों को यह तीर्थ ऐश्वर्य देने वाला है! इस पर्वत पर महाकाली ने आकाश में उछलकर अत्यन्त दृढ़ हाथों से पृथिवी को ताडित किया था।आज भी वहाँ हाथों का अत्यन्त निर्मल चिह्न दिखाई देते हैं , तपस्या की सिद्धि देने वाला यही उत्तम स्थान है, इस पर्वत पर सिद्ध, गन्धर्व और किन्नर देवी के साथ सुखपूर्वक विचरण करते है।भगवती काली का पावन तीर्थ काली शिला की पूजा - अर्चना करने से मनुष्य को पुत्र पौत्रादि की प्राप्ति व यश वृद्धि का अभीष्ट फल मिलता है! इस तीर्थ में दशकों से बाबा बरखा गिरी। मुक्तेश्वर गिरी व जर्मनी निवासी सरस्वती माई भगवती काली की भक्ति में तत्लीन है! शिक्षाविद देवानन्द गैरोला,चन्द सिंह नेगी इं0कृष्ण कुमार सिंह बिष्ट अनिल जिरवाण,धीर सिंह नेगी विनोद नेगी साध्वी सरस्वती बताते है कि इस तीर्थ में एक रात्रि निवास करने से मनुष्य को परम आनन्द की अनुभूति होती है! हरेन्द्र खोयाल,शिव सिंह रावत,रवींद्र भट्ट. दलीप रावत, मदन भटट् रणजीत रावत का कहना है कि काली शिला तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला की परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया है।
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