ऊखीमठ : केदार घाटी में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों में मायूसी छाई हुई है। मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की फसलें सूखने की कंगार पर है!
आने वाले दिनों में यदि मौसम के अनुकूल बारिश नहीं हुई तो काश्तकारों के सन्मुख दो जून की रोटी का संकट पैदा हो सकता है, साथ ही केदार घाटी में विगत कई दिनों से बादल छाने से सम्पूर्ण केदार घाटी शीतलहर की चपेट में आ गयी है। विगत वर्षों की बात करे तो नवम्बर माह के अन्तिम सप्ताह या फिर दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह से हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी तो निचले क्षेत्रों में बारिश होने से काश्तकारों की फसलों में नई ऊर्जा संचार हो जाता था तथा प्रकृति में नये यौवन के श्रृंगार होना शुरू हो जाता था तथा सैलानी बर्फबारी का आनन्द लेने के लिए यहाँ की हसीन वादियों में रुख कर देते थे जिससे यहाँ के पर्यटक स्थल गुलजार रहने के साथ ही स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में खासा इजाफा हो जाता था मगर इस वर्ष की बात करे 27 सितम्बर को मौसम की पहली बर्फबारी हिमालयी क्षेत्रों में तथा 16 नवम्बर को केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुगनाथ धामों में बर्फबारी तो हुई मगर निचले क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकार आसमान में टकटकी लगाये हुए है! केदार घाटी के निचले क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसों, मटर की फसलें सूखने की कंगार पर है। काश्तकार सरिता देवी, गीता देवी, कुवर सिंह ने बताया कि मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की फसलें सूखने की कंगार पर है। जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट ने बताया कि हिमालयी क्षेत्रों में भी मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होने से हिमालय बर्फ विहीन हो गया है, ग्रामीण मदन भटट् ने बताया कि आसमान में विगत कई दिनों से बादल छाने से सम्पूर्ण केदार घाटी शीतलहर की चपेट में आ गयी है।