तुंगनाथ घाटी के टैंट, ढाबों व होटलों को हटाने के फरमान से व्यवसायियों में आक्रोश - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

 ऊखीमठ : वन विभाग द्वारा तुंगनाथ घाटी के विभिन्न यात्रा पड़ावों पर संचालित टैन्टो,ढाबों व होटलों को हटाने का फरमान जारी होते ही तुंगनाथ घाटी के व्यापारियों में शासन - प्रशासन व वन विभाग के खिलाफ आक्रोश बन गया है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि एक तरफ प्रदेश सरकार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के बड़े - बड़े दावे कर रही है वहीं दूसरी तरफ वन विभाग अतिक्रमण हटाने का फरमान जारी कर स्थानीय व्यापारियों का मानसिक उत्पीड़न कर रही है। कहा कि वैश्विक महामारी कोविड 19 के कारण विभिन्न प्रदेशों से अपनी माटी में लौटे कई युवाओं ने तुंगनाथ घाटी में अपने दुकानें खोलकर आत्मनिर्भर की दिशा में कार्य कर रहे हैं तथा प्रदेश सरकार की पहल पर वन विभाग अतिक्रमण हटाने का फरमान जारी कर रहा है। 




 कहा कि जिन बाहरी पूंजीपतियों ने तुंगनाथ घाटी के सुरम्य मखमली बुग्यालों में अतिक्रमण कर रखा है उनका अतिक्रमण हटाने का प्रयास वन विभाग ने कभी नहीं किया। जबकि स्थानीय बेरोजगार युवाओं को बार - बार परेशान किया जा रहा है! बता दें कि तुंगनाथ घाटी के चोपता, बनियाकुण्ड, दुगलविट्टा सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर व्यवसाय कर रहे चार दर्जन से अधिक व्यापारियों को नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने का फरमान जारी किया गया है। 


 आज से तीन वर्ष पूर्व भी जिला प्रशासन तुंगनाथ घाटी के व्यापारियों को अतिक्रमण हटाने का फरमान जारी कर चुका था तथा उस समय कुछ व्यापारियों ने अपने होटल, ढाबों को समेटने की कवायद शुरू कर दी थी मगर बाहरी पूंजीपतियों का अतिक्रमण यथावत रहने से जिला प्रशासन व वन विभाग की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में आ गयी थी। स्थानीय व्यापारियों की मांग पर जिला प्रशासन द्वारा व्यापारियों को ई डी सी का गठन करने का आश्वासन दिया था कि तुंगनाथ घाटी में होटल, ढाबो व टैन्टो के सचालन के लिए ई डी सी का गठन किया जायेगा तथा ई डी सी के तहत सभी होटलों, ढाबो व टैन्टो का संचालन होगा मगर आज तक ई डी सी का गठन न होना स्थानीय व्यापारियों के साथ नाइन्साफी हुई है! जिस प्रकार वन विभाग ने तुंगनाथ घाटी के विभिन्न यात्रा पड़ावों से अतिक्रमण हटाने का फरमान जारी किया है उससे तुंगनाथ घाटी के दो हजार से अधिक युवाओं के सन्मुख दो जून रोटी का संकट खड़ा हो सकता है तथा बाहर से आने वाले सैलानियों को सुविधा न मिलने पर स्थानीय पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है! स्थानीय व्यापारी मोहन मैठाणी, सतीश मैठाणी, प्रदीप बजवाल का कहना है कि स्थानीय व्यापारियों, जिला प्रशासन व वन विभाग के सयुक्त तत्वावधान में ई डी सी का गठन होना चाहिए तथा ई डी सी के मानको के तहत होटल, ढाबो व टैन्टो का संचालन होना चाहिए जिससे बुग्यालों की सुन्दरता कायम रहे तथा स्थानीय व्यापारियों का रोजगार भी कायम रहे साथ ही प्रदेश के राजस्व में भी इजाफा हो सके