जोशीमठ: चतुर्वेद पारायण से शुरू हुआ "ज्योतिषपीठ" का स्वर्ण ज्योति महामहोत्सव
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के मन्त्रों के पारायण से उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ पर देश के सबसे वरिष्ठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के ज्योतिष्पीठ पर विराजमान होने के आने वाले पचासवें स्वर्ण जयन्ती वर्ष का उत्सव स्वर्ण ज्योति महामहोत्सव आज जोशीमठ में आरम्भ हो गया।
ज्ञातव्य है कि वेदों और वेदोक्त सनातन धर्म की रक्षा के लिये ही आदि शंकराचार्य जी ने भारत की चार दिशाओं में चार मठ स्थापित किये थे। ज्योतिष्पीठ उन्हीं चार में से उत्तर दिशा का पीठ है।ऋग्वेद शाकल शाखा के मन्त्रों का सस्वर पारायण सांगोपांग वेद विद्यापीठ दिल्ली के आचार्य श्री दिलीप कुमार पण्डा जी, यजुर्वेद माध्यन्दिनी शाखा के मन्त्रों का पारायण आद्य श्री जगद्गुरु शंकराचार्य वेद पाठशाला हरिद्वार के आचार्य श्री हरेन्द्र उपाध्याय जी, सामवेद कौथुम शाखा की द्रविड पद्धति का गायन स्वामी दयानन्द आश्रम, ऋषिकेश के आचार्य श्री दिलीप त्रिपाठी जी और अथर्ववेद शौनक शाखीय मन्त्रों का सस्वर पारायण दिल्ली से पधारे आचार्य हितेश शर्मा जी द्वारा किया गया।
शाम को विष्णुप्रयाग में हुई भव्य गंगा आरती
महामहोत्सव के अन्तर्गत ज्योतिर्मठ के तीर्थ अलकनन्दा गंगा जी का पूजन और काशी से पधारे पण्डितों द्वारा भव्य पंच आरती सम्पन्न हुई। इससे पूर्व भगवान् शंकराचार्य जी की पादुकाओं का पूजन, देवी जी की महापूजा और भगवान चन्द्रमौलीश्वर का अभिषेक आदि कार्यक्रम सम्पन्न हुये।आज होगा जोशीमठ परिक्षेत्र के पचास विशिष्ट जनों का सम्मान
महामहोत्सव के अन्तर्गत संकल्पित जोशीमठ परिक्षेत्र की पचास विभूतियों का सम्मान आज 26 दिसम्बर को अपराह्न दो बजे से किया जायेगा।कार्यक्रम में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुये लोग सम्मिलित हुये ।