शिक्षा मंत्री डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक को लंदन में वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिलने पर रूद्रप्रयाग भाजपाइयों में खुशी - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

ऊखीमठ : सुप्रसिद्ध साहित्यकार, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारत के शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को 21 नवम्बर को  लंदन में वातायन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया है। इससे पूर्व भी डॉ निशंक को उनके द्वारा अनेकों उत्कृष्ट साहित्य सृजन, जीवनदायिनी गंगा के लिए समर्पित अभियान स्पर्श गंगा, हिमालय तथा पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन अभियान के क्षेत्र में उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए कई बार कई देशों तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।


वहीं भारत के 3 राष्ट्रपतियों द्वारा उनकी पुस्तकों का विमोचन कर भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। डॉ निशंक को इस वर्ष का लंदन में वातआयन लाइफटाइम पुरस्कार मिलने पर  रूद्रप्रयाग के विधायक भरत सिंह चौधरी, जिला पंचायत अध्यक्ष रूद्रप्रयाग अमर देई शाह, भाजपा जिला अध्यक्ष  दिनेश उनियाल,  बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य वाचस्पति सेमवाल, केदारनाथ नगर पंचायत  सलाहकार समिति अध्यक्ष  देव प्रकाश सेमवाल, पूर्व विधायक  श्रीमती शैला रानी रावत ,श्रीमती आशा नौटियाल ,पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट, पूर्व भाजपा   जिला अध्यक्ष   विजय कप्रवाण, शकुंतला जगवाण,  बचन सिंह रावत ,पूर्व दायित्व धारी अशोक खत्री , दिनेश बगवाड़ी,  श्रीमती बीना बिष्ट, जिला महामंत्री विक्रम सिंह कंडारी , अनूप सेमवाल ,पूर्व जिला महामंत्री अजय सेमवाल, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य श्रीमती सरला खंडूरी ,  नगर पंचायत अध्यक्ष उखीमठ विजय राणा , नगर पंचायत अध्यक्ष अगस्त्यमुनि अरुणा बेंजवाल , ब्लॉक प्रमुख उखीमठ श्वेता पांण्डेय, महावीर सिंह पवार , मंडल अध्यक्ष भाजपा सुरेंद्र जोशी ,सुरेंद्र रावत, मेहरबान सिंह रावत ,अमित रावत ,सुभाष पुरोहित ,जगदंबा सकलानी, बृजमोहन  नेगी ,गजपाल सिंह रावत ,विनोद जमलोकी  ,गंभीर सिंह बिष्ट  ,जगदीश नेगी ,कुलेंद्र राणा, महिला मोर्चा  जिला अध्यक्ष  कुंवरी  वर्तवाल ,युवा मोर्चा  जिला अध्यक्ष विकास डिमरी ,रेड क्रॉस सोसाइटी  चेयरमैन दीपराज बंगारी ,जिला पंचायत सदस्य भारत भूषण भट्ट, श्रीमती मंजू सेमवाल ,श्रीमती सविता भंडारी ,श्रीमती मंजू सेमवाल , भूपेंद्र लाल, बैंक डायरेक्टर , कुलबीर सिंह रावत ,श्री टीकाराम भट्ट ,संपूर्णा सेमवाल , पूर्व प्रमुख फते सिंह रावत,ममता नौटियालया ,जिला मीडिया प्रभारी सतेन्द्र बर्त्वाल ,बुद्धिबल्लभ थपलियाल , सोशल मीडिया प्रभारी पंकज कपरवान ,दीपक सिलूड़ी ,विनोद देवशाली, आशीष गैरोला, विपिन सेमवाल,भगत कोटवाल,कमल रावत, मगन सिंह नेगी,अर्जुन सिंह नेगी, दिनेश सत्कारी, प्रकाश रावत, रमेश नौटियाल आदि ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के उज्ज्वल भविष्य की कामना की ।


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काली शिला की पूजा-अर्चना से मनुष्य को अभीष्ट फल मिलता है - ऊखीमठ से लक्ष्मण नेगी की खास रिपोर्ट : ऊखीमठ - देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरती धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से साधना के क्षेत्र में अपना सर्वोत्कृष्ट स्थान रखती है, वास्तव में सिद्धि पाने के लिए साधना सदा शान्त, एकान्त और सिद्ध स्थलों में ही लाभप्रद होती है। वेदव्यास की चिन्तन भूमि, पाण्डवों का स्वर्गारोहण, उद्वव की तपस्थली, राजा भगीरथ की साधना स्थली, आदिगुरु शंकराचार्य को प्रेरणा देने वाली और महाकवि कालिदास को जन्म देकर विश्व विख्यात बनाने वाली यह हिमालय की पावन धरती है, इसलिए हिमालय के उत्तराखण्ड को तपस्या के लिए सभी तपस्वियों ने चयन किया है। देवभूमि उत्तराखंड वास्तव में ऐसी मुख्य रमणीक देव स्थली है जहाँ कनखल सती कुण्ड से लेकर 12 हजार फीट के उतंग शिखरों पर शक्तिदात्री माँ के अनेक सिद्धपीठ विधमान हैं। यदि मानव के ह्दय में इन सिद्धपीठों के प्रति विश्वासमयी भावना हो तो जगत जननी माँ के दर्शन किसी न किसी रुप में किये जा सकते हैं। इसलिए शक्ति की साधना को ही समस्त कार्यो की सिद्धि माना जाता है! माँ जगत जननी की महिमा का वर्णन ऋषि मुनियों ने भी बड़ी गहनता से किया है तथा सर्व शक्तिमान देवताओं को भी सदा ही अपनी विपदाओं के निवारणार्थ इसी आध्या शक्ति की ही उपासना करनी पडी है।परम पिता भगवान शंकर व जगत जननी मोक्षदायिनी माँ भवानी की इस तपोभूमि उत्तराखंड के कण - कण में अवस्थित देवी के शक्तिपुजो में जो मानव अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है वह व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोग कर अन्त में मोक्ष को प्राप्त कर युगों तक शिवलोक में पूजनीय होता है। केदार घाटी के अन्तर्गत सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोस दूर विशाल पर्वत पर विराजमान भगवती काली का तीर्थ काली शिला नाम से विश्व विख्यात है। इस तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला है तथा विशाल शिला पर 64 यंत्र विधमान हैं, भगवती काली शिला की पूजा करने से अखिल कामनाओं व अर्थों की पूर्ति होती है। काली शिला तीर्थ मधु गंगा व सरस्वती नदियों के मध्य विशाल पर्वत पर है! भगवती काली शिला मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी मानी जाती है! मदमहेश्वर घाटी के राऊलैक तथा कालीमठ घाटी के ब्यूखी गाँव से पैदल मार्गों से सिद्धपीठ काली शिला पहुंचा जा सकता है। इस तीर्थ में भगवती काली के मन्दिर की पूजाये देव स्थानम् बोर्ड तथा विशाल शिला की पूजा स्थानीय हक - हकूकधारियों द्वारा की जाती है।भगवती काली शिला की महिमा का वर्णन क्रूम पुराण के अध्याय 56 के श्लोक संख्या चार में शिलातले मदं न्यस्त नास्तिकानां शब्दों में किया गया है जबकि महाकवि कालिदास ने भी काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन गहनता से किया है। स्कन्ध पुराण के केदारखण्ड के अध्याय 89 के श्लोक संख्या 40 से 49 में काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन विस्तार से किया गया है, केदारखण्ड में कहा गया है कि सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोश दूर पर्वत पर रणमण्डना नाम से महादेवी हैं! वहाँ जाने पर मनुष्य स्वस्थ देवीलोक को प्राप्त करता है। शरद व बसन्त ऋतुओं के नवरात्रों में जो मनुष्य भक्ति पूर्वक भगवती काली को नैवैध चढा़ता है वह देव लोक में युगों तक पूजनीय होता है तथा वह घुंघरूओं के समूह की माला से युक्त उत्तम विमान पर सवार होकर चारों ओर अप्सराओं के समूह, गन्धवों,सिद्धों और किन्नरो से शोभायमान हो सूर्य मण्डल का भेद करके मुनिवरो के अभीष्ट एवं दु:ख रहित ब्रह्मलोक को जाता है। यह तीर्थ समस्त पापों का शमन करने वाला और सकल उपद्रवों का नाश करने वाला है! नित्य दान करने वाले मनुष्यों को यह तीर्थ ऐश्वर्य देने वाला है! इस पर्वत पर महाकाली ने आकाश में उछलकर अत्यन्त दृढ़ हाथों से पृथिवी को ताडित किया था।आज भी वहाँ हाथों का अत्यन्त निर्मल चिह्न दिखाई देते हैं , तपस्या की सिद्धि देने वाला यही उत्तम स्थान है, इस पर्वत पर सिद्ध, गन्धर्व और किन्नर देवी के साथ सुखपूर्वक विचरण करते है।भगवती काली का पावन तीर्थ काली शिला की पूजा - अर्चना करने से मनुष्य को पुत्र पौत्रादि की प्राप्ति व यश वृद्धि का अभीष्ट फल मिलता है! इस तीर्थ में दशकों से बाबा बरखा गिरी। मुक्तेश्वर गिरी व जर्मनी निवासी सरस्वती माई भगवती काली की भक्ति में तत्लीन है! शिक्षाविद देवानन्द गैरोला,चन्द सिंह नेगी इं0कृष्ण कुमार सिंह बिष्ट अनिल जिरवाण,धीर सिंह नेगी विनोद नेगी साध्वी सरस्वती बताते है कि इस तीर्थ में एक रात्रि निवास करने से मनुष्य को परम आनन्द की अनुभूति होती है! हरेन्द्र खोयाल,शिव सिंह रावत,रवींद्र भट्ट. दलीप रावत, मदन भटट् रणजीत रावत का कहना है कि काली शिला तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला की परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया है।
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