ऊखीमठ : वर्ष 1962 में अस्तित्व में आई ऊखीमठ तहसील में विगत कई महीनों से उपजिलाधिकारी व तहसीलदार का पद रिक्त होने से खनन माफिया मधु गंगा में खूब चांदी काट रहे हैं। खनन माफियाओं के हौसले इस कदर परवान चढ़े हुए है कि दिन दहाड़े मधु गंगा के आंचल को छलने कर लाखों रुपये की कमा रहे हैं। कुछ स्थानीय लोगों द्वारा निजी भूमि पर पट्टे आवंटन करने के लिए आवेदन तो कर रखा है मगर आवेदन सरकारी दफ्तरों में कैद होने से प्रदेश सरकार को खनन पट्टों से मिलने वाला राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है! पुलिस प्रशासन द्वारा अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए समय - समय पर सघन चैकिंग अभियान तो चलाया जाता मगर मधु गंगा के भूभाग राजस्व क्षेत्र में होने के कारण खनन माफियाओं बेखौफ खनन कर रहे हैं।
बता दें कि ऊखीमठ तहसील में लम्बे समय से उपजिलाधिकारी व तहसीलदार का पद रिक्त चल रहा है तथा तहसील में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती न होने से इन दिनों खनन माफिया मदमहेश्वर घाटी के मधु गंगा में जमकर अवैध खनन कर प्रति दिन लाखों रूपये कमा रहे हैं। खनन माफियाओं के हौसले इस कदर बुलन्द है कि सांय पांच बजे से रात्रि नौ बजे तक मधु गंगा के किनारे ट्रकों का काफिला खड़ा रहता है! नाम न छापने की शर्त पर स्थानीय जनता ने बताया कि इन दिनों खनन माफिया मधु गंगा में अवैध खनन कर खूब चांदी काट रहे हैं।उन्होंने बताया कि मधु गंगा में अवैध खनन होने की शिकायत तहसील प्रशासन को दी जाती है मगर तहसील मुख्यालय में महत्वपूर्ण पद रिक्त है तथा छोटे अधिकारी ग्रामीणों की फरियाद सुनने को राजी नहीं हैं! ग्रामीणों का कहना है कि खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलन्द हैं कि मधु गंगा में दिन दहाड़े बिना रोक टोक के अवैध खनन कर प्रति लाखों रुपए टिकाने लगाये जा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि खनन माफियाओं द्वारा मधु गंगा के आंचल को छलने किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि तहसील मुख्यालय में तैनात अधिकारी सब कुछ जानने के बाद भी अनजान बने हुए है जिससे खनन माफियाओं के हौसले आसमान चढ़े हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते मधु गंगा में हो रहे अवैध खनन पर रोक नहीं लगी तो प्रदेश सरकार को इसका खामियाजा 2022 के चुनाव में भुगतान पड़ेगा!