ऊखीमठ वर्ष 1962 में स्थापित ऊखीमठ तहसील में तहसीलदार का पद लम्बे समय से रिक्त रहने व एस डी एम के अवकाश पर चले जाने से जनता के कार्य समय पर नहीं हो पा रहे हैं, जिससे जनता में प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन के प्रति आक्रोश बना हुआ है। जो कि कभी भी सड़कों पर फूट सकता है! स्थानीय जनप्रतिनिधियो का कहना है कि जिला प्रशासन को बार - बार अवगत कराने के बाद भी स्थाई तहसीलदार की नियुक्ति न होना क्षेत्र के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
साथ ही 1962 में स्थापित तहसील के तहसीलदार का अतिरिक्त पदभार 2015 में स्थापित बसुकेदार तहसील के तहसीलदार को देना समझ से परे। वर्तमान समय की बात करें तो एस डी एम व तहसीलदार दोनों के अवकाश पर चले जाने से लगभग 112 ग्राम पंचायतों वाली ऊखीमठ तहसील नायब तहसीलदार के भरोसे संचालित हो रही है! मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 1962 में स्थापित ऊखीमठ तहसील में विकासखंड ऊखीमठ की 69 ग्राम पंचायत तथा अगस्तयमुनि विकासखंड के भटवाडी सुनार, बाडव व गणेशनगर उप राजस्व क्षेत्र की लगभग 112 ग्राम पंचायतें तथा 204 राजस्व ग्राम है तथा तीन जुलाई को यहाँ तैनात तत्कालीन तहसीलदार जयबीर राम बधाणी का स्थानांतरण रूद्रप्रयाग होने से ऊखीमठ तहसील के तहसीलदार का कार्य भार बसुकेदार तहसील के तहसीलदार श्रेष्ठ गुनसोला को दिया गया था। दोनों यहाँ तैनात एस डी एम वरूण अग्रवाल 18 सितम्बर तथा यहाँ के तहसीलदार का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे श्रेष्ठ गुनसोला एक सप्ताह से अवकाश पर रहने से स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं की किरणें सीमान्त तक कैसे पहुंच रही होगी। व्यापार संघ अध्यक्ष आनन्द सिहं रावत ने बताया कि लाकडाउन के कारण गाँव लौटे युवा इन दिनों मूल निवास,आय, जाति, पर्वतीय जैसे प्रमाण पत्रों के लिए आवेदन तो कर रहे हैं मगर तहसील में तैनात उच्चाधिकारियों के अवकाश पर चले जाने से युवाओं को दर - दर भटकना पड़ रहा है! गुरिल्ला संगठन जिलाध्यक्ष बसन्ती रावत ने बताया कि ग्रामीण त्रियुगीनारायण, गौरीकुंड, चौमासी, गौण्डार, तोषी, पावजगपुडा, मोहनखाल, गणेशनगर जैसे सीमान्त क्षेत्रों से अपनी समस्याओं को लेकर तो आ रहे है मगर एस डी एम व तहसीलदार के अवकाश पर होने के कारण ग्रामीणों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। मदमहेश्वर मेला समिति सचिव प्रकाश रावत ने बताया कि होम स्टे योजना को संचालित करने के लिए बेरोजगार युवाओं जमीन स्थान्तरित करने के लिए आवेदन तो कर रहे हैं मगर प्रशासन के नुमाइंदों की अनदेखी के कारण वे बार - बार तहसील के चक्कर काटने के लिए विवश बने हुए हैं! प्रकाश गुसाईं का कहना है कि 1962 में स्थापित ऊखीमठ तहसील के तहसीलदार का कार्यभार 2015 में स्थापित तहसील के तहसीलदार को देना समझ से परे। जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा ने बताया कि ऊखीमठ में तहसीलदार की स्थाई नियुक्ति के लिए जिला प्रशासन से मांग की गयी थी मगर आज तक स्थाई तहसीलदार की नियुक्ति न होना यहाँ जनमानस व युवाओं के भविष्य के प्रति खिलवाड़ किया जा रहा है! उनका कहना है कि यदि समय रहते तहसीलदार की नियुक्ति नही की गयी तो क्षेत्रीय जनता को उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन की होगी! वही दूसरी ओर पूरु जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भटट् ने बताया कि दोनों अधिकारियों के अवकाश पर होने की सूचना जनपद के प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत को दी गयी है।