कलगोठ गांव की विनीता देवी के लिए देवदूत बने गांव के युवा, बीमार को कंधों पर 15 किमी पैदल सड़क तक पहुंचाया - संजय कुंवर जोशीमठ

 जोशीमठ के सबसे दूरस्थ और दुर्गम गाँव कलगोठ डुमक में सड़क स्वास्थ्य संचार सेवाएं इस कदर बदहाल है  आजादी के 73 साल बाद भी लोगों के लिए संचार व सड़क सुविधा से ग्रामीण महरूम हैं। विकास की आस लगाए इन गाँवों की एक पीढ़ी गुजर गई लेकिन गाँव के हालात जस के तस बने हैं। आप इन तस्वीरों को देख समझ गए होंगे की यहाँ कैसे किन हालातों में ग्रामीण जीवन जी रहे हैं।मुसीबत तब दिखती जब कोई गाँव में बीमार पड़ जाता है।


गाँव से 15 किलोमीटर दूर सड़क तक दंडी कंडी से लाने तक कई घरों के दिये बुझ जाते हैं।सड़क के हाल ऐसे की 20सालों से सिर्फ फाइलों में बन रही है।आप देख सकते की ऐसी सड़क आपने शायद ही कहीं देखी होगी। 20सालों से बन रही है और वो भी पहाड़ी पर खड़ी चढ़ाई वाली जिसमें आदमी का चलना तक जानलेवा हो रखा वहाँ कभी कोई वाहन कैसे चल सकेगा ? हालत ये की लोग अब इन गाँवों में रिस्तेदारी बनाने से डर रहे हैं ! कारण साफ है इसी गाँव की ही विनीता देवी की किस्मत सही रही की समय से उसे गाँव के देवदूत बनकर आये कुछ युवाओं द्वारा दंडी कंडी से 15 किलोमीटर नीचे सड़क तक पहुँचा कर उसको हॉस्पिटल तक पहुँचाया गया।आप देख सकते है किस तरह इन क्षेत्रों में विकास हुआ है।यहाँ जिंदगी अक्सर दंडी कंडी पर झूलती नजर आती है।


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