ऊखीमठ : विकासखंड ऊखीमठ की ग्राम पंचायत सेमी भैसारी के ग्रामीणों ने केदार घाटी में जल विद्युत परियोजना का निर्माण कर चुकी एल एण्ड टी कम्पनी पर गाँव की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा है कि कम्पनी ने हमेशा ग्रामीणों के हितों की अनदेखी की है। जिससे सेमी गाँव के निचले हिस्से में लगातार भूधसाव होने से केदार घाटी की अराध्य देवी बाराही का मन्दिर, मकाने व काश्तकारों की जमीन खतरे की जद में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विकास कार्यों में हम बाधक तो नहीं हैं मगर गाँव के निचले हिस्से में भूधसाव रोकने का जिम्मा कम्पनी है मगर कम्पनी के आलाधिकारी हमेशा ग्रामीणों की एक सूत्रीय मांगों को अनदेखा कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते एल एण्ड टी कम्पनी द्वारा गाँव के निचले हिस्से में सुरक्षा दीवालों का निर्माण नहीं किया गया तो ग्रामीणों को उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी कम्पनी की होगी। यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति में पूर्व प्रधान कुवरी बर्त्वाल ने बताया कि रूद्रप्रयाग - गौरीकुण्ड राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में भी सेमी भैसारी के ग्रामीणों का अहम योगदान रहा है। तथा केदार घाटी के कुण्ड में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना के निर्माण में ग्रामीण कभी भी बाधक नहीं बने। मगर जल विद्युत परियोजना की झील बनने से सेमी भैसारी गाँव के निचले हिस्से में भूधसाव होने से बाराही देवी मन्दिर व कई मकानों को खतरा बना हुआ है।उन्होंने बताया कि 16/17 जून 2013 में भी गाँव के निचले हिस्से में भूधसाव होने के दर्जनों मकानों को भारी नुकसान हुआ था। महिला मंगल दल अध्यक्ष रजनी देवी ने बताया कि बरसात के समय गाँव के निचले हिस्से में निरन्तर भूधसाव होने के ग्रामीणों की रातों की नींद हाराम हो चुकी है! बताया कि ग्रामीणों द्वारा रावण गंगा के किनारे से भौर तोक तक मन्दाकिनी नदी के किनारे तथा सेमी भैसारी गाँव के निचले हिस्से में सुरक्षा दीवालों के निर्माण की मांग की जा रही है मगर एल एण्ड टी कम्पनी के अधिकारी ग्रामीणों की मांगों पर अमल करने को राजी नहीं हैं। मंजू देवी ने बताया कि गाँव के निचले हिस्से में निरन्तर भूधसाव होने से बाराही देवी मन्दिर, होटलो, लांजो,मकान व काश्तकारों की उपजाऊ जमीन को खतरा बना हुआ है। प्रेम प्रकाश जोशी, अंजू भण्डारी, दिलदेई का कहना है कि यदि समय रहते सेमी भैसारी गाँव के निचले हिस्से में सुरक्षा दीवालों का निर्माण नहीं किया गया तो ग्रामीणों को उग्र आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी एल एण्ड टी कम्पनी की होगी।