फिर चल पड़ा जीएमवीएन का उड़नखटोला, जोशीमठ औली रोपवे का संचालन फिर शुरू,कोरोना संकट से बंद पड़ा था रज्जुमार्ग
चारधाम यात्रा पर आने वालों तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के लिए खुश खबरी। एशिया की सबसे लम्बी और ऊँची "जोशीमठ- औली रोप वे"का संचालन फिर हुआ शुरू। अनलॉक डाउन -5 में चारधाम यात्रा को मिली छूट और बढ़ती यात्रियों तादाद को देखते हुए GMVN परियोजना और प्रदेश सरकार ने लिया रोप व संचालन शुरू करने का फैसला,4.1किलोमीटर (four point one) km लम्बी जोशीमठ औली रोप वे से पर्यटक उठा सकते हैं। गढ़वाल हिमालय की सबसे ऊँची और भारत की दूसरी सबसे ऊँची हिमशिखर नंदादेवी सहित 14 अन्य हिम शिखरों का लुफ्त।कोरोना संकट के चलते पिछले कई माह से बंद पड़ी थी जोशीमठ औली रोप वे,वर्ष 1982में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी इस रोपवे की आधार शिला।वर्ष 1994 में बन कर तैयार हुई जोशीमठ औली रोपवे परियोजना।
एशिया में औली-जोशीमठ रोपवे सबसे खूबसूरत व्यू के लिए पसंद की जाती है। करीब 4.15 किमी. लंबे इस रोपवे की आधारशिला साल 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी, जो वर्ष 1994 में बनकर तैयार हुआ। देवदार के घने जंगलों के बीच से यह रोपवे दस टॉवरों से होकर गुज़रता है। जिग-जैक स्टाइल पर बने इस रोपवे में आठ नंबर टॉवर से उतरने-चढऩेे की व्यवस्था है।प्रभारी ऑप्रेसंन इंचार्ज रोपवे दिनेश डिमरी ने बताया की प्रशासन से अनुमति के बाद ही आज से रोप वे संचालन शुरू किया गया है। आज पहले शिफ्ट में 3टूरिस्ट रोप वे से औली पहुँचे हैं।