"मेरी नौनी"
मेरी लाडी मेरी प्यारी सांखी,
मेरी ज्यू प्राण तू मेरी आँखी।
जब बिटी मेरा घौर मा जलम लीनी त्वेन,
सेरी दून्या की खुशी बौड़ी यखी।
तेरू बाळू सवालों की बौछार,
तोतयी जुबान मा त्येळ सी धार।
पिल्सी की बोल दों चा हैंसी क,
त्येरी बात्योंम रस्यांण जन सात सुरों की झनकार।
तेरू बावपन मा मेरू भी बचपन बौड़ीगे,
मांजी की सी भुक्की समलोंण रेगी।
बाबाजी की उगंई पकड़ी तें
जन मेरी लाटी हिटण सीखेगी।
कुलदेवी कु मीथें आशीर्वाद मिलीगे,
द्वी नौन्यों का रूप मा शक्ति जन्मीगे।
बेटी छे त आज च बेटी छे त भोव चा
सारू संसार की मीथें खुशी मिलीगे।
पर सोचदू जब तु ज्वान होली,
तेरू ब्यो कारज, कन्यादान होली।
कनुक्वे बिदा द्योल तुम थें,
कनुक्वे तुम बिना मेरी ज्यू जान रोली।
कैन बणे होली इनी रीत हे विधाता,
अपणा खुखला मा सेंती नौनी, बिराणा घौर की शान होळी
बिराणा घौर की शान होली।
पूनम थपलियाल
एम ए हिंदी
सहायक अध्यापिका
सरस्वती विद्या मन्दिर तपोवन
जोशीमठ चमोली