हर वाणी तब चंदन सी सुगंध फैलाती दुनिया में, अगर सत्य की चेतना जाग जाती दुनिया में - सुनीता सेमवाल "ख्याति" 

विषय- अविरल धारा
विधा- छंद मुक्त


काश सत्य की अविरल धारा बहती यूँ हर एक मुख से।
सत्य सभी को प्यारा लगता जीवन के भौतिक सुख से।


हर वाणी तब चंदन सी सुगंध फैलाती दुनिया में।
अगर सत्य की चेतना जाग जाती दुनिया में।


अपराधी भी खौफ खाता तब अपराध को करने से।
जीत सत्य की ही होगी इस अंजाम को याद करने से।


जग में सत्य की अविरल धारा सुखद क्रांति ले आती। 
हृदय में संतोष की अजब शांति ले आती।


संबंधों के बीच कोई तब गलतफहमी नहीं होती।
कहीं किसी की विवशता तब यूँ सहमी नही होती।


संघर्ष होता जीवन में पर झूठे नहीं भरम होते।
हर कोई सत्य को अपनाता तो आडंबर खतम होते।


सत्य सदा अटल रहे पर झूठ का कोई विराम नहीं।
जीत सत्य की होती है दे झूठ सुखद परिणाम नहीं।


काश सत्य का ये महत्व यह संसार समझ जाता।
झूठी प्रवृत्ति को त्याग सत्य का सार समझ जाता।


सत्य बोलने का संकल्प यूँ मेरे मुख में आ जाये।
यही कामना है दिल में फिर से सतयुग आ जाये।



स्वरचित 
सुनीता सेमवाल "ख्याति" 
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड