चमोली जिले के सुदूरवर्ती गांव इराणी सड़क मार्ग से 8 किमी दूर,जब गाँव की एक महिला जमुना देवी पत्नी मातबर सिंह उम्र 25 साल ग्राम इराणी के अचानक पेट में दर्द शुरू हो गया अब पहाड़ के लोगों की पहाड़ जैसी मुश्किलें हमारे दुरस्त इराणी गाँव की जमुना देवी का दर्द भी कुछ ऐसा ही था। पेट दर्द की असहनीय पीड़ा से कराह रही जमुना को आखिर कैसे गाँव में ट्रीटमेंट मिल पाता जब यहाँ मूल भूत सुविधाएं तक नही हैं। बिना सड़क के गाँव में प्राराथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रथम उपचार का कोई माध्यम तक नहीं है।ऐसे में आनन फानन में गांव के 15-20 लोगों के इस विकट परिस्थितियों में जंगल के खस्ताहाल रास्तों से जैसे तैसे डंडी कंडी के सहारे बीमार को पगना नामक जगह पर पहुंचाया।जहाँ से बीमार को सीधा गोपेश्वर ले जाया गया है।
ईरानी गाँव के युवा जागरूक ग्राम प्रधान मोहन नेगी बताते है की हमारे निजमुला गौणा पाणा ईरानी का ये दुर्भाग्य रहा है की विकास की किरण यहाँ आजादी से अब तक नही पहुँच सकी है। खास कर यहाँ सड़क और स्वास्थ्य की सुविधा मिल जाती तो क्षेत्र की महिला शक्ति को यू न कराहना पडता और इस तरह बीमार को दंडी कंडी के सहारे रहना पड़ता।कहा की जमुना देवी की तरह यहाँ सबका यही हाल है हमारे जिले के दुरस्त गाँवों में अभी भी भी बीमार दंडी कंडी के भरोसे है।सब जगह सड़क स्वास्थ्य और संचार की सुविधा होना जरूरी है।बात भी सही है पहाड़ के इन दुरस्त गाँवों में आये दिन जमुना देवी की तरह किसी न किसी को दंडी कंडी का सहारा लेना ही पड़ता है।जरूरत है क्षेत्र में सड़क स्वास्थ्य संचार की सबसे जरूरी सुविधा सरकार उपलब्ध करा दे तभी यहाँ ग्रामीण महिला विकास और सशक्तिकरण हो सकेगा नही तो विकास यू ही दंडी कंडी तक सीमित रहेगा।