बिटिया दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
आज के परिप्रेक्ष्य में सभी बेटियों को समर्पित मेरी यह रचना
🌹मैं हूं न🌹
मुक्कमल इस जहां की बंदिशों से
कब तक जकड़ी जायेगी
ऐ नन्हीं परी
तू हर कदम पर
कब तक ठोकर खायेगी।
न समझ कि अकेली है तू
वरना दुनिया तुझे सतायेगी
अपने ही सपनों को
जीने की खातिर
किस - किससे गुहार लगायेगी।
मन्दिर - मस्जिद भी अपने हैं
और हाथों में तेरी ताकत है
विश्वास है मन में तेरे और
पैरों में कहां थकावट है।
तेरा हौंसला मैं थामूंगी
एक उंगली मुझको थमा देना
कर्तव्य कर्म की दृढ़ राह में चलना
तेरे इरादों की राह तक
" मैं हूं न "
जहां थकेगी जहां रुकेगी
मेरी हथेली थाम लेना
भरोसे का एक दीप जलाकर
संसार को जगमगा देना।
नारी जीवन बड़ा कठिन है
संघर्षों की लड़ाई है
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक भी
कहां वो सुध ले पायी है।
अब और नहीं सहना है हमको
मिलकर गुलिस्तां सजायेंगे
एक दूजे को हौंसला देकर
नव सृजन कर राह बनायेंगे।
शशि देवली
(संस्थापिका कलम क्रांति साहित्यिक मंच चमोली उत्तराखण्ड)
उत्तराखंड सरकार द्वारा "तीलू रौतेली सम्मान" से सम्मानित।