भगवती राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागरों का युधिष्ठिर के राजतिलक व देवी को ब्रह्मकमल अर्पित करने के साथ हुआ समापन - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

ऊखीमठ! मदमहेश्वर घाटी के रासी गाँव में विराजमान भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में विगत दो माह से चल रहे पौराणिक जागरों का समापन दुर्योधन वध, युधिष्ठिर के राजतिलक तथा भगवती राकेश्वरी को बह्मकमल अर्पित करने के साथ हो गया है। पौराणिक जागरों के समापन अवसर पर मदमहेश्वर घाटी के दर्जनों गांवों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रतिभाग कर भगवती राकेश्वरी की पूजा - अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की।  कई दशकों से चली आ रही परम्परा के अनुसार भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में सावन मास की संक्रान्ति से लेकर आश्विन की माह की दो गते तक पौराणिक जागरों के माध्यम से 33 कोटि देवी - देवताओं की महिमा का गुणगान किया जाता है इसी परम्परा के तहत इस वर्ष भी सावन मास की सक्रांति से पौराणिक जागर शुरू किये गये थे जिनका समापन गुरुवार को भगवती राकेश्वरी को बह्मकमल अर्पित करने के साथ हो गया है। प्रसिद्ध जागरी शिव सिंह पंवार, पूर्ण सिंह पंवार ने बताया कि दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों में पृथ्वी की उत्पत्ति, कृष्ण जन्म, कृष्ण लीला, कंस वध, शिव पार्वती उत्पत्ति, शिव पार्वती विवाह आदि लीलाओं व महिमा का गुणगान किया जाता है।


मुकन्दी सिंह पंवार, रामसिंह पंवार, जसपाल सिंह जिरवाण ने बताया कि जागरों के अन्त में कौरव - पाण्डवों की उत्पत्ति, महाभारत युद्ध, दुर्योधन वध, युधिष्ठिर का राज्यभिषेक का गुणगान भी जागरों में किया जाता है। कार्तिक सिंह खोयाल, अमर सिंह रावत, शिव सिंह रावत ने बताया कि पाण्डवों के स्वर्ग गमन की महिमा के साथ ही पौराणिक जागरो का समापन किया जाता है। लाल सिंह रावत, पूर्ण सिंह खोयाल महिपाल सिंह पंवार ने बताया कि पौराणिक जागरों के गायन में प्रतिदिन हरिद्वार से लेकर चौखम्बा तक सभी देवी - देवताओं की स्तुति की जाती है। मन्दिर समिति अध्यक्ष जगह सिंह पंवार ने बताया कि पौराणिक जागरों का समापन भगवती राकेश्वरी को बह्मकमल अर्पित करने के साथ होता है तथा इस बार जसपाल सिंह खोयाल, शिव सिंह खोयाल व कार्तिक सिंह खोयाल तीन दिवसीय अनुष्ठान रखकर नंगे पांव लगभग 14 हजार फीट की ऊंचाई से परम्परानुसार बह्मकमल लाये तथा भगवती राकेश्वरी को अर्पित कर पौराणिक जागरों का समापन हुआ। रणजीत रावत ने बताया कि पौराणिक जागर सावन माह में शुरु होते है तथा आश्विन की दो गते को जागरों के समपन्न होने की परम्परा है।


जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा ने बताया कि राकेश्वरी मन्दिर में पौराणिक जागर के समापन का समय बड़ा मार्मिक होता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य बलवीर भटट् पूर्व सदस्य भरोसी रावत ने बताया कि पौराणिक जागरो के गायन से क्षेत्र का वातावरण दो माह तक भक्तिमय बना रहता है। इस मौके पर आचार्य स्वयम्बर सेमवाल,रोशन देवशाली, मानवेन्द्र भटट्, ईश्वरीय प्रसाद भटट्, लक्ष्मण सिंह पंवार, विजय सिंह बिष्ट, जीतपाल सिंह पंवार, हरेन्द्र खोयाल, राजेन्द्र सिंह नेगी, सन्तोष नेगी, मुकुल नेगी, रवीन्द्र भटट्, देवेंद्र सिंह, रावत, गजपाल सिंह पंवार सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।


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