वृक्ष लगाओ,जनसंख्या घटाओ,पर्यावरण बचाओ
इन वृक्षों ने किसी का क्या बिगड़ा है।जो प्रतिदिन काटे जा रहे हैं,जिनकी हर रोज बली हो रही है। जो किसी से अपना दर्द भी नहीं बता पा रहें हैं।जिन्होने छोटे से पौधे से और जब तक इस धरती पर खड़ा है,इस जगत को जीवन दायनी रुपी शुद्ध हवा,पानी,और अन्न दिया।जिन्होने प्रकृति बचाने में अयन्त सहयोग किया है ।
इन्सानों ने इन वृक्षों को बचाने के बजाय इन्हे काटने में तुले हैं ।जबकि इस पृथ्वी पर पेड़ों के न होने से घोर संकट पैदा होने का संकेत दिख रहे हैं।जिस तरह से जनसंख्या वृद्धि दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है,उससे इस मानव जगत और अन्य प्राणियों के सम्मुख संकट आने का इसारा हो रहा है!जो जीव जंतु,कीड़े मकोड़े और संसार के समस्त जीवित प्राणी इन पेड़ों पर निर्भर होते हैं ।उन पर संकट का साया मंडरा रहा है।अब समय आ गया है जन संख्या में कमी लाने की और बहुत जरूरी है इस निर्णय को जितनी तेजी से लिया जाये,तो आने वाले वर्षों में कुछ प्रतिशत जन संख्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।जो आने वाले समय में पर्यावरण को बचाने के में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
विश्व में जिस तरह से आबादी का स्तर तीव्र गति से बढ़ रहा है,तो जंगल भी उतनी तेजी से घट रहे हैं।या उनका दोहन किया जा रहा है।इस विकास में प्रत्येक का निजी स्वार्थ देखने को मिल रहा है। ये स्वार्थ पर्यावरण के लिए कितना घातक हो सकता है ये सब जानते हैं फिर भी वृक्षों का विनास किया जा रहा है।
लिहाजा इस बात को ध्यान में रखते हुए कि जनसंख्या को और अधिक न बढ़ाकर सिमित परिवार का रुप दिया जाना चाहिए।वो समय और था जब पूरे विश्व में जनसंख्या बहुत कम होती थी।तो तब जंगल अधिक हुआ करते थे ।आज विपरीत होता दिख रहा है।तब प्रत्येक परिवार में आज की तुलना में चार गुना होती थी ।लेकिन आज ऐसा समय आ गया है कि परिवार सिमित हो गए लेकिन जन संख्या में फिर भी तेजी से बढ़ोतरी हुई ।और ये कुछ अपवादों के कारण हुआ।जो जन संख्या विस्फोट का रुप ले रहा है ।
इस वृद्घि से सम्पूर्ण विश्व को बहुत हानि हो रही है ।जिसका मूल्य आज सम्पूर्ण जगत चुका रहा है ।
देखते ही देखते बड़े शहरों में आबादी का स्तर इतना बढ़ गया है कि शुद्ध हवा पानी आसानी से किसी को नहीं मिल रही है। चारों ओर विशेला प्रदूषण का विशाल शैलाब वायुमंडल में तैर रहा है ।जो प्राणी जगत के लिए प्राण वायु नहीं प्राण हरने वाली वायु दे रहा है और न चाहते हुए भी इस प्रदूषित वायु को जीवित रहने के लिए लेना ही पड़ रहा है जो जीवन को निरंतर कष्ट देता जा रहा है।
शहरों के कई हिस्सों में बड़ी बड़ी फेक्ट्रीयां स्थापित हो चुकी हैं जिनसे अत्यधिक मात्रा में विषैली गैस निकल रही है और विकास की दौड़ में प्रत्येक मानव पर्यावरण के मूल्यों को भूलता जा रहा है।इस मूल्य को चुकाने में आज सब असमर्थ सा महसूस कर रहे हैं ।जो नदियाँ,तालाब ,झरने,समुद्र कभी स्वच्छ एवं पीने युक्त होते थे ,आज उनमे घरों का और पूरे शहर का गन्दा पानी,कूड़ा करकट,फेक्ट्रीयों का विषैला पदार्थ इन नदियों में जा रहा है ।जिस कारण इनमें रहने वाले जलीय जीवों पर भी जीवित रहने के लिए संकट बना हुआ है। जो कभी स्वच्छ जल में विचरण करते थे,आज उनके सामने जीवन जीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।अशुद्ध पर्यावरण ने नभ से लेकर जल तक अपनी जड़े जमा ली । जिसका सामना समस्त प्राणी जगत कर रहा है ।
आबादी के बढनेे के साथ - साथ ध्वनी प्रदूषण में भी अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है चारों तरफ शोर मचा हुआ है।जगह-जगह बड़े से लेकर छोटे वाहनों की लाईन लगी है,जिसके द्वारा भी विषैला धुआं निकलकर पर्यावरण को हर दिन दूषित करता जा रहा है।इन वाहनों को व्यवस्थित करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल रहा है।ऐसे में अन्तिम उपाय है आबादी के नजदीक जंगल की ओर इन्सानों का रुख हो रहा है ।और अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए जंगलों पर ही निर्भर हैं।इस प्रकार प्रतिदिन ये जंगल ये पेड़ पौधे मनुष्य के विकास की भेंट चढ़ रही हैं।आज से संकल्प लेना होगा कि जनसंख्या को रोकना होगा ।(और निश्चित ही रोकना होगा) प्रत्येक को जंगल बचाने होंगे,वृक्ष लगाने होंगे ।तभी पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है ।इन प्राण वायु को देने वाले बहुमूल्य धरोहर को विनाश होने से स्वयं और दूसरों को भी रोकना होगा । ये संदेश सम्पूर्ण मानव जगत के लिए है।
वृक्ष हैं मानव के जीवन रक्षक,
ना बने कोई इनका भक्षक ।
वृक्षों को तुम रोज लगाओ,
जगत में विष घुलने से बचाओ।
चन्द्र मोहन सिंह
धारकोट किमसार