जोशीमठ के दूरस्थ गाँव कलगोठ की ठीक ऊपर बसा है वंशीनारायण धाम।भगवान विष्णु को समर्पित यह पौराणिक मंदिर जहां केवल रक्षाबन्धन के अवसर पर ही होती है विष्णु पूजा।
एक दर्जन गाँवों का लगता है भव्य मेला,सालभर में सिर्फ एक ही दिन होती भगवान विष्णु की पूजा.भगवान विष्णु विराजे है यहाँ चतुर्भुज रूप में उच्चहिमालय में स्थित भगवान वंशीनारायण की एक दिनी पूजा हुई संपन्न, सुबह 4 बजे सुबह ब्रहम मुहूर्त में जाख देवता के पुजारी ने पूजा अर्चना कर लगाया भगवान का भोग,इस अवसर पर भगवान को सत्तू बाडी का भोग लगाया गया और भजन कीर्तन का आयोजन किया गया। आज 150 से 200 भगवान के दर्शन किये मंदिर वर्ष भर खुला रहता परन्तु पूजा केवल एक ही दिन होती है बाकि दिन यहाँ पूजा का जिम्मा देव ऋषि नारद जी ही को होता है, हिमालय की वादियों में विराजमान 12000 फीट की ऊंचाई पर उर्गम घाटी से लगभग 12 किमी की पैदल यात्रा कर पहुंचा जाता है वंशीनारायण जहां केवल साल भर में एक ही दिन पूजा होती है नाम से तो लगता है कि कृष्ण का मन्दिर होगा पर यहां भगवान विष्णु चर्तुभुज रूप में जलेरी में विराजमान हैं।
आज के दिन वंशीनारायण की पूजा अर्चना मनुष्यों द्वारा की गयी इसलिए इस दिन वर्षभर में रक्षाबंधन के दिन ही पूजा अर्चना कलगोठ के जाख देवता के पुजारी द्वारा की जाती है। वहीं रक्षाबंधन पर कल्पेश्वर महादेव में भगवान को राबड़ी खीर का भोग लगाया गया। आज से उर्गम घाटी में नन्दा लोकजात की तैयारियां शुरु होती है।