फूलों की घाटी हिमालयन क्वींन"ब्लू पॉपी पुष्प"से गुलजार - संजय कुँवर घांघरिया जोशीमठ

फूलों की घाटी : हिमालयन क्वींन ऑफ अल्पाईन फ्लावर्स "ब्लू पॉपी पुष्प"से गुलजार हुई  विश्व धरोहर "नंदन कानन"


Meconopsis betonicifolia, जिसे Meconopsis baileyi और हिमालयन ब्लू पॉपी (नीला खसखस) ​​के नाम से भी पहचाना जाता है, इस पुष्प को  जिसको औपचारिक रूप से वर्ष 1912 में लेफ्टिनेंट कर्नल फ्रेडरिक मार्शमैन बेली द्वारा नामित किया गया था।



उत्तराखंड के चमोली  जिले में लोकपाल घाटी में समुद्रतल से करीब 12995 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व धरोहर स्थल नंदन कानन फूलों की घाटी नेशनल पार्क में 350 से अधिक प्रजाति के पुष्प आज भी खिलते हैं। लेकिन इनमें हिमालयी पुष्पों की रानी के रूप में मशहूर क्वीन 'ब्लू पॉपी' की बात ही निराली है। यह  आकर्षक पुष्प इन दिनों फूलों की घाटी की  खूब आभा बढ़ा रहा है। हालांकि कोरोना संकट के बाद अब पर्यटकों के लिए घाटी के द्वार कुछ शर्तों के साथ खोल दिये गए हैं।ऐसे में इस दुर्लभ पुष्प दीदार को देशी विदेशी पर्यटक भी फूलों की घाटी पहुँचने की आस लगाए हुए हैं। 



चमोली जिले में 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली  ये घाटी हिमालयी जैवविविधिता का एक दुर्लभ अद्भुत खजाना है। यहां पर दुनियाभर की दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव-जंतु, औषधीय वनस्पति व पक्षी बहुतायत में पाए जाते हैं। यही वजह है कि फूलों की घाटी प्रकृति प्रेमियों और वनस्पति शास्त्रियों की पहली पसंद है। इन दिनों घाटी में एक खूबसूरत पुष्प  ब्लू पॉपी काफी मात्रा में खिला हुआ है, पूरी घाटी इस दुर्लभ पुष्प की महक से खिली हुई है। जिसके दीदार को बड़ी तादाद में विदेशी, खासकर जापानी थाईलैंड,के टूरिस्ट हर साल  यहा पहुँचते हैं।इनकी प्रजातियों में आकर्षक फूल होते हैं और दो अलग-अलग रेंज होते हैं। 40 ब्लू पॉपी की प्रजातियाँ हिमालय में पाई जाती है।