कोई इनकी भी सुनो : भेड़ पालकों की गुहार मदद करे सरकार - संजय कुंवर नीति घाटी

सीमान्त नीति घाटी में इन दिनों स्थानीय अलकनन्दा घाटी और हिमांचल प्रदेश के भेड़ बकरी पालक पालसी अपनी भेड़ों और बकरियों को इण्डो तिब्बत बॉर्डर के बाड़ाहोत्ति, लफ़तल,सुमना,रेखाना,नीति क्षेत्र से अपने गीष्मकालीन प्रवास की चुगान करा बॉर्डर से नीचे लौटने लगे हैं।



लेकिन लॉक डाउन ओर कोरोना संकट के कारण सभी भेड पालक खासा परेशान हैं,परेशान स्थानीय और प्रवासी पालसियों का कहना है कि शासन प्रशासन और प्रदेश के NGO आदि ने कोरोना काल और लॉक डाउन और अब अनलॉक डाउन में भेड़ पालकों की कोई मदद नही की है।



भेड पालकों का कहना है कि गीष्म काल से लेकर अब वर्षा ऋतु में उनकी भेड़ बकरियों को दवाईया व टेंट मचान ,टॉर्च,पडाव,नमक,टीका करण,सहित भेड़ के लिए ऊन निकालने के आधुनिक औजारों और दवाईयों की नितांत आवश्यकता होती है। परन्तु न सरकार का पशु पालन महकमा और नही कोई संस्था इन पालसियों की मदद करने आगे आई है।भेड़ पालक पुष्कर सिंह विक्रम सिंह ,सुभाष चन्द्र कहते ही की पशु पालन और कल्याण की योजनाएं सिर्फ कागजों में है न कोई संस्था हम पालसियों की कोरोना काल में कोई मदद कर रही, न ही सरकार से कोई राहत मिली है।और नही लॉक डाउन में उनको मदद मिल रही है।