जज्बे को सलाम : जितेंद्र चौहान ने फूलों की घाटी पहुंच कर मनाया अपना 74 वां जन्मदिन - संजय कुंवर पुलना (जोशीमठ)

जज्बे को सलाम 
पुलना (जोशीमठ)देश की आजादी के दिन जन्मे 74वर्षीय स्थानीय बुजुर्ग जितेंद्र चौहान फूलों की घाटी पहुँच युवाओं में प्रेरणा स्रोत्र 
कोरोना संकट के बाद पर्यटकों के लिए खुली विश्व धरोहर फूलों की घाटी नेशनल पार्क इन दिनों अपने शबाब पर है।घाटी का दीदार करने मानसून सीजन के चलते इन दिनों कम ही लोग पहुँच रहे हैं।लेकिन इस लोकपाल घाटी को बेहद करीब से देखने वाले और इसी घाटी में अपना बचपन बिताने वाले स्थानीय पुलना गाँव के जोश और जज्बे से लबरेज 74 वर्षीय बुजुर्ग जितेंद्र सिंह चौहान आज भी डिस्कवरी चैनल के बेयर गिल्स से कम नही हैं।



बड़ी बात ये है कि 74वर्ष की उम्र में वो लगातार दुर्गम दुरूह लोकपाल घाटी में आज भी मझे हुए पथारोही की तरह नॉन स्टॉप आवाजाही कर क्षेत्र के युवाओं के लिए बड़ी मिसाल और प्रेरणादायक बने हुए हैं।खास इसलिए बने है जितेंद्र सिंह चौहान उन्होंने अपने 74वें जन्म दिन को खास बनाने के लिए फूलों की घाटी की सैर को चुना और इस सीजन में वो पहले बुजुर्ग प्रकृति प्रेमी बने जो कोरोना काल में 74वर्ष की उम्र में जोशीले अंदाज में नंदन कानंन पहुँचे। और इस खूबसूरत पुष्प वाटिका में अपना जन्म दिन मना 74वे जन्म दिन और स्वतंत्रता दिवस दोनों को यादगार बना गए। बता दें की इनका घांघरिया में एक अपना होटल भी है,अक्सर होटल से घर तक का सफर पैदल तय करने वाले जितेंद्र सिंह चौहान आज भी उतने ही चुस्त - दुरस्त और फुर्तीले हैं।फूलों की घाटी के सफर के बाद उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा की उनका जन्म देश की आजादी के रोज यानी 15अगस्त सन् 1947को लोकपाल घाटी पुलना में ही हुआ था, और उनका बचपन यहीं इन्ही लोकपाल नंदा घाटी में बीता है।पहले वो इसी वियावाँन के चारागाह में भेड़ बकरियों के साथ खूब घुमा करते थे।वर्ष 2013की जल आपदा के बाद घाटी में रूट बदले हैं और हालात भी सुधरे हैं। कहते की अब घाटी से हनुमान चट्टी तक रूट बना है और घाटी में फूल भी खूब खिले हैं लोकल युवाओं में घाटी के लिए काफी क्रेज है।उनको खुशी है की आज भी वो इस घाटी के प्रति अपना लगाव नही भूले हैं और कोरोना संकट के बीच अपनी इस खूब सूरत घाटी का दीदार करने आ ही गए हैं।आज जब 74वर्ष के बुजुर्ग जितेंद्र चौहान फूलों की घाटी पहुँच सकते तो युवाओं के लिए घाटी का दीदार करना मुश्किल भरा क्यू हो गया है? पुलना निवासी जितेंद्र सिंह चौहान आज युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं, ऐसे जोश और जज्बे से भरे बुजुर्ग पथारोही को हम प्रणाम करते हैं।