विषय-रामलला का आगमन
पृथ्वीलोक के संग उत्सव तीनो लोक मनायेंगे।
भव्य रूप में रामलला जब फिर
अयोध्या आयेंगे।
हर्षित होगी पावनभूमि जनमानस होगा उत्साहित।
रघुनाथ की मूरत जब मंदिर में होगी स्थापित।
शंखनाद बजेगा और आरती उतारेंगे। उनका स्वागत करने तब देवता पधारेंगे।
पावन जल धारा से प्रभु के चरणों को
धुलवायेंगे।
भव्य रुप में रामलला जब फिर
अयोध्या आयेंगे।
रघुनाथ की जन्मस्थली हर्ष से भर जायेगी।
जब प्रभु श्रीराम संग वैदेही माता आयेगी।
आस्था चरम पर होगी ना होगी कोई परीक्षा तब।
फलदाई हो जाएगी वर्षों की प्रतीक्षा तब।
दीप जलाकर भजन आरती मंगल गीत गायेंगे।
भव्य रुप में रामलला जब फिर अयोध्या आयेंगे।
वो स्वर्णिम ऐतिहासिक पल पर्व का अवसर देगा तब।
अश्रु पूर्ण हर चक्षु को गर्व से भर देगा तब।
हम धन्य हुए सौभाग्य हमारा पा करके ये शुभ अवसर।
भूमि पूजन के संग जो फिर से आ रहे रघुवर।
देव दानव मानव भक्ति संग पुष्प सभी बरसायेंगे।
भव्य रुप में रामलला जब फिर अयोध्या आयेंगे।
स्वरचित
सुनीता सेमवाल "ख्याति"
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड