देवग्राम में भगवती गौरा की लोकजात 20 से शुरू - रघुबीर नेगी उर्गमघाटी

उर्गम घाटी की ग्राम पंचायत देवग्राम के गौरा मन्दिर से 20 अगस्त शाम तीन बजे भगवती गौरा की छंतोली निशान के साथ स्थानीय समुण च्यूणा, कणका, ककड़ी, कोणी मायके के उत्पाद लेकर जागरों ढोल दमाऊ की धुन के साथ भगवती मां गौरा का बुलावा श्री फ्यूलानारायण मन्दिर के लिए रवाना होगी। जो कल्पेश्वर मन्दिर होते हुये शाम 6 बजे तक श्री फ्यूलानारायण मन्दिर में रात्रि विश्राम करेगी।



रात्रि में पूजा अर्चना के बाद जागर गायन होगा। 21  सुबह सात बजे मां गौरा की छंतोली, निशान भनाई बुग्याल के समीप गौरा की फुलवाडी में जात करने बाद ब्रह्मकमल लेकर शाम दो बजे तक श्री फ्यूलानारायण मन्दिर में पहुंचेगी। जहां पूजा अर्चना प्रसाद ग्रहण करने के बाद फ्यूयाण पुजारी भगवती गौरा को मायके के लिए विदा करेगें। शाम 6 बजे तक मां गौरा देवग्राम के गौरा मन्दिर पहुंच जायेगी। जहां फूलकोठा का आयोजन होगा देवग्राम के भल्ला वंशज के नेगी परिवारों की कुल देवी है भगवती गौरी हर साल भादों मास की दूज तिथि को धियाण बेटी को बुलाने के लिए कंडी छंतोली के साथ एक व्यक्ति को भेजा जाता है। सम्पूर्ण पैनखंडा क्षेत्र में एकमात्र छंतोली है जो दूज तिथि को जाकर तीज तिथि को रोखनी बुग्याल में जात करती है।



पर्वतीय अंचलों में बसी उर्गम घाटी जहां विराजते है प्रथम बदरी, ध्यान बदरी, पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव जो भक्तों के दर्शनार्थ 12 महीने खुले रहते हैं। 12 गांवों से मिलकर बनी उर्गम घाटी सांस्कृतिक विरासत पर्यटन पर्यावरण पौराणिक संस्कृति की धनी रही है, न जाने कितने अनगिनत रहस्यों रिवाजों व परम्पराओं को अपनी अंचलों में समेटे हुये है। देवी स्वनूल को सोना शिखर से बुलाया जाता है। इन दिनों हिमालय वासियों की बेटी धियाण नन्दा स्वनूल को 26 अगस्त को वियवान कैलाश से मायके बुलाया जायेगा। शिव का कैलाश जहां 12 महीनों बर्फ की चादर जहां न वसंत आता है न तीज त्यौहार न सखी सहेलियों का संग न जन न पेड़ न पौधे न कफू हिलांस न घुघती का स्वर न पशु पक्षियों का कलरव बस है तो बर्फ ही बर्फ चारों ओर सफेदी चादरें ओढे कैलाश। नन्दा हिमालय वासियों की बहु बेटियों के कठोर जीवन के संघर्षों की मार्मिक कहानी है जो वहां की विषम परिस्थिति के अनुसार ही अपना जीवन ढाल लेती है।                


लोकजात यात्रा का कार्यक्रम


लोकजात यात्रा में इस बार सीमित एवं स्थानीय लोगों को ही जाने की अनुमति होगी। कोरोना संकट के चलते यह स्थिति बनी है।


21 अगस्त 2020  भगवती गौरा की भनाई बुग्याल के  समीप रोखनी में होगी तीज तिथि को जात। 20 अगस्त को शाम 6 बजे शाम श्री फ्यूलानारायण मन्दिर में पहुंचेगी भगवती गौरा की छतोली। 20 अगस्त से 26 अगस्त तक मा गौरा श्री नन्दा देवी स्वनूल देवी लोकजात यात्रा 


20 अगस्त मा भगवती गौरा की छतोली फ्यूलानारायण रात्रि विश्राम हेतु पहुंचेगी 
21 अगस्त को सुबह रोखनी बुग्याल में 11 बजे जात कर 3 बजे फ्यूलानारायण और शाम 6 बजे देवग्राम गौरा मंदिर पहुंचेगी


24 अगस्त को श्री नन्दा देवी की छतोली 11 बजे वंशीनारायण रिखडारा उडियार में रात्रि विश्राम करेगी
25 अगस्त को मैनवाखाल में उर्गम घाटी समेत पल्ला जखोला किमाणा कलगोठ लांजी पोखनी समेत पंचगै की जात सम्पन होगी
26 अगस्त को शाम 6 बजे छतोलियां श्री भूमि क्षेत्र पाल घंटा कर्ण मंदिर में पहुंचेगी इसके अलावा 26 अगस्त को डुमक समेत दयोखार पट्टी की जात घोड़ा सांगड़ा पंचदयूली में सम्पन्न होगी 



   भनाई बुग्याल लोकजात



24  अगस्त भर्की चोपता मंदिर से भर्की भैटा की छतोली फ्यूलानारायण रात्रि विश्राम हेतु पहुंचेगी जिसमे उर्गम पल्ला की एक एक छतोली शामिल होगी
25 अगस्त को भनाई बुग्याल में जात होगी शाम को वापसी फ्यूलानारायण 
26 अगस्त को सभी छतोलियां भर्की होते हुये अपने अपने गांवो को प्रस्थान करेगी
27 अगस्त को श्री फ्यूलानारायण मंदिर के कपाट बंद होगें
28 अगस्त को भरकी दशमी मेला होगी