डीएम का औचक निरीक्षण, सितंबर माह का राशन डीलरों से उठान न करने पर पूर्ति निरीक्षक के वेतन आहरण पर रोक के दिए निर्देश

जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने गुरूवार को चमोली स्थित राजकीय अन्न भण्डार एवं सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता दुकानों का औचक निरीक्षण कर खाद्यान्न स्टाॅक एवं वितरण की जाॅच की। कोठियासैंण स्थित दुकान पर सस्ता गल्ला विक्रेता का बोर्ड चस्पा न मिलने और दुकान में स्टाॅक एवं वितरण रजिस्टर न पाए जाने पर जिलाधिकारी ने तत्काल दुकान का आवंटन निरस्त करने के निर्देश दिए। वहीं राजकीय अन्न भण्डार चमोली से अभी तक 50 प्रतिशत राशन डीलरों को सितंबर महीने का राशन उठान न कराए जाने पर पूर्ति निरीक्षक के वेतन आहरण पर रोक लगाने के निर्देश जिला पूर्ति अधिकारी को दिए। निरीक्षण के दौरान चमोली गोदाम में सीलन की समस्या को देखते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि गोदाम को ठीक कराने के लिए शीघ्र धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।



राजकीय अन्न भण्डार चमोली में 85 सरकारी सस्ता गल्ले की दुकानों के लिए सितंबर महीने तक एडवांस राशन उपलब्ध है। बावजूद इसके 50 प्रतिशत राशन डीलरों से सितंबर माह का एडवांस राशन का उठान एवं वितरण नही कराया गया। इस पर जिलाधिकारी ने पूर्ति निरीक्षक को फटकार लगाते हुए अगले 5 दिनों में गोदाम से खाद्यन्न का वितरण सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने कहा मानसून के दृष्टिगत सभी गोदामों को तीन महीने का एडवांस खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया है। लेकिन अभी तक इसका उठान एवं वितरण न कराया जाना घोर लापरवाही है। उन्होंने पूर्ति निरीक्षक के वेतन आहरण पर भी रोक लगाने के निर्देश जिला पूर्ति अधिकारी को दिए।



कोठियासैंण स्थित सरकारी सस्ता गल्ला की दुकान के निरीक्षण के दौरान न तो दुकान पर सस्ता गल्ला दुकान का कोई बोर्ड चस्पा मिला और ना ही दुकान में खाद्यान्न स्टाॅक एवं वितरण रजिस्टर पाए गया। इस पर जिलाधिकारी ने कडी नाराजगी जाहिर करते हुए तत्काल दुकान का लाइसेन्स निरस्त कर फिर से दुकान का आवंटन कराने के निर्देश दिए। चमोली स्थित सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता की दुकान के निरीक्षण में राशन वितरण में  खामियां पाई गई। इस दुकान पर 29 राशन कार्ड पंजीकृत हैं। जिसमें से दो राशन कार्ड धारकों को दो बार तीन महीने का एडवांस राशन वितरण किया गया। वही दुकान पर आॅनलाइन राशन कार्ड धारकों की सूची भी चस्पा नही पाई गई। जिस पर जिलाधिकारी ने सबंधित सस्ता गल्ला विक्रेता से भी स्पष्टीकरण तलब किया है। उन्होंने सभी सस्ता गल्ला विक्रेता दुकान खुलने एवं बंद होने का समय भी बोर्ड पर चस्पा कराने के निर्देश दिए। ताकि उपभोक्ताओं को किसी तरह की परेशानी न हो। जिलाधिकारी ने पूर्व में ही जिले के सभी 14 गोदामों के लिए खाद्यन्न की तौल हेतु इलेक्ट्राॅनिक कांटे उपलब्ध कराए थे। गोदाम के निरीक्षण के दौरान इनके बारे में पूछे जाने पर बताया गया कि तौल के लिए इलैक्ट्रानिक कांटे मिलने से बहुत सुविधा हो रही है और इससे गोदाम से खाद्यान्न वितरण में समय भी कम लग रहा है। इस दौरान जिला पूर्ति अधिकारी केएल शाह, पूर्ति निरीक्षक डीपी जोशी, पूर्ति निरीक्षक एसएस फस्र्वाण आदि मौजूद थे।


Popular posts
प्रांतीय उद्योग मंडल द्वारा व्यापार मंडल की कार्यकारिणी भंग, नई की अधिसूचना जारी - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ
Image
छह दिवसीय उद्यमिता विकास प्रशिक्षण संपन्न - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ
Image
सात दिवसीय पौराणिक मांगल मेले का समापन - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ
Image
हरेला : जल विद्युत निगम व केदारनाथ दास सेवा मंडल द्वारा रुच्छ महादेव मंदिर में किया गया पौधरोपण - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ
Image
काली शिला की पूजा-अर्चना से मनुष्य को अभीष्ट फल मिलता है - ऊखीमठ से लक्ष्मण नेगी की खास रिपोर्ट : ऊखीमठ - देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरती धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से साधना के क्षेत्र में अपना सर्वोत्कृष्ट स्थान रखती है, वास्तव में सिद्धि पाने के लिए साधना सदा शान्त, एकान्त और सिद्ध स्थलों में ही लाभप्रद होती है। वेदव्यास की चिन्तन भूमि, पाण्डवों का स्वर्गारोहण, उद्वव की तपस्थली, राजा भगीरथ की साधना स्थली, आदिगुरु शंकराचार्य को प्रेरणा देने वाली और महाकवि कालिदास को जन्म देकर विश्व विख्यात बनाने वाली यह हिमालय की पावन धरती है, इसलिए हिमालय के उत्तराखण्ड को तपस्या के लिए सभी तपस्वियों ने चयन किया है। देवभूमि उत्तराखंड वास्तव में ऐसी मुख्य रमणीक देव स्थली है जहाँ कनखल सती कुण्ड से लेकर 12 हजार फीट के उतंग शिखरों पर शक्तिदात्री माँ के अनेक सिद्धपीठ विधमान हैं। यदि मानव के ह्दय में इन सिद्धपीठों के प्रति विश्वासमयी भावना हो तो जगत जननी माँ के दर्शन किसी न किसी रुप में किये जा सकते हैं। इसलिए शक्ति की साधना को ही समस्त कार्यो की सिद्धि माना जाता है! माँ जगत जननी की महिमा का वर्णन ऋषि मुनियों ने भी बड़ी गहनता से किया है तथा सर्व शक्तिमान देवताओं को भी सदा ही अपनी विपदाओं के निवारणार्थ इसी आध्या शक्ति की ही उपासना करनी पडी है।परम पिता भगवान शंकर व जगत जननी मोक्षदायिनी माँ भवानी की इस तपोभूमि उत्तराखंड के कण - कण में अवस्थित देवी के शक्तिपुजो में जो मानव अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है वह व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोग कर अन्त में मोक्ष को प्राप्त कर युगों तक शिवलोक में पूजनीय होता है। केदार घाटी के अन्तर्गत सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोस दूर विशाल पर्वत पर विराजमान भगवती काली का तीर्थ काली शिला नाम से विश्व विख्यात है। इस तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला है तथा विशाल शिला पर 64 यंत्र विधमान हैं, भगवती काली शिला की पूजा करने से अखिल कामनाओं व अर्थों की पूर्ति होती है। काली शिला तीर्थ मधु गंगा व सरस्वती नदियों के मध्य विशाल पर्वत पर है! भगवती काली शिला मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी मानी जाती है! मदमहेश्वर घाटी के राऊलैक तथा कालीमठ घाटी के ब्यूखी गाँव से पैदल मार्गों से सिद्धपीठ काली शिला पहुंचा जा सकता है। इस तीर्थ में भगवती काली के मन्दिर की पूजाये देव स्थानम् बोर्ड तथा विशाल शिला की पूजा स्थानीय हक - हकूकधारियों द्वारा की जाती है।भगवती काली शिला की महिमा का वर्णन क्रूम पुराण के अध्याय 56 के श्लोक संख्या चार में शिलातले मदं न्यस्त नास्तिकानां शब्दों में किया गया है जबकि महाकवि कालिदास ने भी काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन गहनता से किया है। स्कन्ध पुराण के केदारखण्ड के अध्याय 89 के श्लोक संख्या 40 से 49 में काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन विस्तार से किया गया है, केदारखण्ड में कहा गया है कि सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोश दूर पर्वत पर रणमण्डना नाम से महादेवी हैं! वहाँ जाने पर मनुष्य स्वस्थ देवीलोक को प्राप्त करता है। शरद व बसन्त ऋतुओं के नवरात्रों में जो मनुष्य भक्ति पूर्वक भगवती काली को नैवैध चढा़ता है वह देव लोक में युगों तक पूजनीय होता है तथा वह घुंघरूओं के समूह की माला से युक्त उत्तम विमान पर सवार होकर चारों ओर अप्सराओं के समूह, गन्धवों,सिद्धों और किन्नरो से शोभायमान हो सूर्य मण्डल का भेद करके मुनिवरो के अभीष्ट एवं दु:ख रहित ब्रह्मलोक को जाता है। यह तीर्थ समस्त पापों का शमन करने वाला और सकल उपद्रवों का नाश करने वाला है! नित्य दान करने वाले मनुष्यों को यह तीर्थ ऐश्वर्य देने वाला है! इस पर्वत पर महाकाली ने आकाश में उछलकर अत्यन्त दृढ़ हाथों से पृथिवी को ताडित किया था।आज भी वहाँ हाथों का अत्यन्त निर्मल चिह्न दिखाई देते हैं , तपस्या की सिद्धि देने वाला यही उत्तम स्थान है, इस पर्वत पर सिद्ध, गन्धर्व और किन्नर देवी के साथ सुखपूर्वक विचरण करते है।भगवती काली का पावन तीर्थ काली शिला की पूजा - अर्चना करने से मनुष्य को पुत्र पौत्रादि की प्राप्ति व यश वृद्धि का अभीष्ट फल मिलता है! इस तीर्थ में दशकों से बाबा बरखा गिरी। मुक्तेश्वर गिरी व जर्मनी निवासी सरस्वती माई भगवती काली की भक्ति में तत्लीन है! शिक्षाविद देवानन्द गैरोला,चन्द सिंह नेगी इं0कृष्ण कुमार सिंह बिष्ट अनिल जिरवाण,धीर सिंह नेगी विनोद नेगी साध्वी सरस्वती बताते है कि इस तीर्थ में एक रात्रि निवास करने से मनुष्य को परम आनन्द की अनुभूति होती है! हरेन्द्र खोयाल,शिव सिंह रावत,रवींद्र भट्ट. दलीप रावत, मदन भटट् रणजीत रावत का कहना है कि काली शिला तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला की परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया है।
Image