ब्रह्मकमल के साथ उच्च हिमालय से सकुशल लौटे नन्दा फुलारी,सादगी के साथ मनाया गया नन्दा अष्टमी पर्व - संजय कुँवर जोशीमठ

दिव्य पुष्प ब्रह्मकमल के साथ उच्च हिमालय से सकुशल लौटे नन्दा फुलारी,सादगी के साथ मनाया गया नन्दा अष्टमी पर्व 
सीमांत विकासखंड जोशीमठ के करीब तीन दर्जन गाँवों में आज माँ नन्दा के प्रति अगाध प्रेम और आस्था का पर्व नन्दा अष्टमी की धूम है। पहाड़ की आराध्या देवी और ध्याण बेटी का दर्जा प्राप्त माँ नन्दा देवी को उनके ससुराल कैलाश से मायका बुलाने और फिर अष्ट्मी पर्व के बाद पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ स्थानीय समूण ककड़ी,मुंगरी,ऋतु फलों,चूडा,बुखुणा, रवोन्ट,की पोटली के साथ माँ नन्दा को दोबारा मायका बुलाने के वायदे के साथ बेटी जैसे विदा करने की पौराणिक परम्परा का निर्वाहन आज भी उसी अंदाज में किया जाता है।पहाड़ में माँ नन्दा को बेटी धियान के रूप में पहचान मिली है



इसके तहत प्रत्येक गाँव से देवी द्वारा चुने गए दो प्रतिनिधि दैवीय परम्परा का पालन करते हुए नंगे पाँव उच्च हिमालय कैलाश में दिव्य पुष्प  ब्रह्म कमल की वाटिका में माँ गौरा के साज श्रृंगार के लिए इस दिव्य पुष्प को लेने पहुँचते हैं। और बन दैवियों की आज्ञा के बाद ही इन पुष्पों को तोड़ कर वापस अपने-अपने गाँव पहुँचते इस पर्व को नन्दा अष्टमी कहते हैं। बाद में इन पुष्पों को नन्दा माता का प्रसाद के रूप में सभी श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है।



हालांकि इसबार कोरोना संकट के कारण इस बार क्षेत्र के कई गाँव में ये पर्व महज परम्पराओं के निर्वाहन करने तक सीमित रहा।सामाजिक दूरी और बाहरी लोगों के शामिल होने के डर के चलते पहली बार क्षेत्र के दर्जनों गाँव में नन्दा फुलारी इसबार कैलाश दिव्य पुष्प कोंल पद्म लेने नही गए इन गाँव में नन्दा अष्टमी पर्व में नन्दा मंदिरों में  सिर्फ अखंड दिये जलाये गए और रात भर  माँ नन्दा के भजन कीर्तन का आयोजन किया गया।



वहीं क्षेत्र के एक गाँव से उच्च हिमालय दिव्य पुष्प लेने गए माँ नन्दा के दो फुलारी कल देर रात तक अपने मंदिर वापस नही लौटे थे जिसके चलते गाँव में लोग रात भर काफी चिंतित रहे बताया जा रहा की खराब मौसम और अत्यधिक थकान के चलते यहाँ के नन्दा फुलारी समय पर वापस नही आ सके और नही वहाँ नेटवर्क सही रहा जिससे वो गाँव में मदद का संदेश पहुँचा सके।



माँ नन्दा की कृपा से आज सुबह खुशनुमा मौसम के बीच अब ये नन्दा फुलारी अपनी पुष्प कंडी संग गाँव पहुँचे तो ग्रामीणों कि जान में जान आई। खुशी में लोगों ने माँ नन्दा के जयकारे और जागरों के साथ उनका स्वागत किया।