सीमांत के दूरस्थ क्षेत्रों में बिना स्वास्थ्य सुविधा के बीमार महिला फिर पालकी के सहारे, ये कैसा महिला सशक्तिकरण ?
आखिर कब तक बिना सड़क,स्वास्थ्य सुविधाओं के यूँ दंडी कंडियों में तड़पने को मजबूर रहेगी सीमांत के दूरस्थ गाँवों की बीमार मातृ शक्तियाँ ?
जोशीमठ विकासखंड के दूरस्थ किमाणा- पल्ला जखोला-पोखनी-डुमक कलगोठ क्षेत्र से सड़क व स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में आये दिन बीमार को कुर्सी की पालकी बनाकर चिकित्सा सुविधा के लिए मीलों पैदल चलकर जिला मुख्यालय लाना अब ग्रामीणों की आदत बन चुकी है,ये अभिशाप बन कर दशकों से यहाँ के ग्रामीणों को जीने को मजबूर कर रहा है ऐसी है कुछ आज की ये तस्वीरें सामने आ रही है। जिसमें किमाणा गाँव की एक 25 वर्षीय बीमार महिला दीपा देवी जिसकी प्रसव होने के दो दिन बाद काफी तबियत बिगड़ी तो जच्चे बच्चे दोनों की जान पे बन आई। ऐसे में परिजनों और गांव के युवाओं ने मिलकर वही दंडी कंडी में भारी बारिश में पथरीले रास्तों से गुजरते मीलों पैदल चल कर बीमार युवती दीपा को मुख्य सड़क तक पहुचाया।
क्षेत्र के युवा सामाजिक कार्यकर्ता पंकज हटवाल ने बताया कि अब आये दिन इस तरह की घटना हमारे क्षेत्र के लोगों की नियति बन चुकी है।विकास की आस में कितने घर खाली हो गए इसकी कोई भरपाई करने वाला नहीं है।इस घाटी में बीमार लोगों को स्वास्थ्य सुविधा समय पर तभी मिल सकती जब घाटी सड़क से जुड़ेगी। वहीं बीमार दीपा की किस्मत भी ऐसी की आज कई जगह सड़क मार्ग भी बरसात के चलते बाधित है। ऐसे में समय पर घर गाँव में ही उचित ट्रीटमेंट् मिलने से ही दीपा जैसी कई अन्य सिस्टम की मारी दूरस्थ क्षेत्रों की हमारी बीमार माँ बहनों को बचाया जा सकता है।बताया गया की किमाणा गाँव में सरकार का एक छोटा सा चिकित्सा नियोजन केंद्र खोला जरूर ही लेकिन संसाधनों और डॉक्टर के अभाव में कैसे बीमार का भला होगा। वहीं बड़ी बात यह कि यहां के लोगों को हमेशा नेताओं द्वारा छला गया। दो विधायक भी अभी तक गांव तक सड़क नहीं पहुंचा पाए!