ऊखीमठ! विगत 60 वर्षों से ग्राम पंचायत फापज के सलामी तोक के नो परिवारों की भूमि हस्तांतरण न होने से ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है जो कि शासन - प्रशासन के खिलाफ कभी भी फूट सकता है। भूमि हस्तांतरण के लिए सलामी तोक के नौ परिवार स्थानीय प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार की चौखट तक गुहार लगा चुके हैं मगर सरकारी हुक्मरानों की अनदेखी के कारण आज तक सलामी तोक के नौ परिवार की भूमि हस्तांतरण नहीं हुई है। पूर्व में निर्धारित कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों ने 23 मार्च से कुण्ड - चोपता - गोपेश्वर मोटर मार्ग पर करेला नामक स्थान पर आन्दोलन करने की चेतावनी तो दी थी मगर 22 मार्च से वैश्विक महामारी कोविड 19 के कारण लॉकडाउन होने के कारण ग्रामीणों को अपना आन्दोलन देश हित में वापस लेना पड़ा था। बता दे कि वर्ष 1962 में कुण्ड - चोपता - गोपेश्वर मोटर मार्ग निर्माण के दौरान ग्राम पंचायत भटवाडी के करेला नामक तोक में ग्रामीणों की जमीन कटने के कारण तत्कालीन गढ़वाल आयुक्त के निर्देश पर तहसील प्रशासन द्वारा इन परिवारों को मदमहेश्वर घाटी की ग्राम पंचायत फापज के सलामी तोक में 50 नाली भूमि आवंटित की तो गयी थी मगर वन विभाग व तहसील प्रशासन की अनदेखी के कारण आज तक तहसील प्रशासन के भूलेखों में 50 नाली भूमि हस्तांतरण नहीं हो पायी है।
ग्रामीण भगत सिंह पंवार ने बताया कि भूमि हस्तांतरण करने के लिए हम कई बार स्थानीय प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तक गुहार लगा चुके हैं मगर आज तक हमारी भूमि हस्तांतरण नहीं हुई है। दिलवर सिंह पंवार ने बताया कि वन विभाग व तहसील प्रशासन की लापरवाही के कारण भूमि हस्तांतरण नहीं हो पा रही है। दिनेश सिंह पंवार ने बताया कि 23 मार्च से हमने आन्दोलन की चेतावनी शासन - प्रशासन को दी थी मगर लॉकडाउन के कारण हमें अपना आन्दोलन वापस लेना पड़ा। बीर सिंह पंवार का कहना है कि मार्च से लेकर अगस्त तक शासन - प्रशासन स्तर से किसी प्रकार की कार्यवाही या फिर ग्रामीणों से वार्ता न होना दुर्भाग्य की बात है! रणवीर सिंह पंवार, जसपाल सिंह पंवार, शिशुपाल सिंह पंवार का कहना है कि आन्दोलन करना ही मात्र एक उपाय रह गया है। उन्होंने कहा कि शासन - प्रशासन स्तर से कोई कार्यवाही नहीं हुई तो हमें पु:न आन्दोलन की रणनीति तय करने पड़ेगी जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन - प्रशासन की होगी।