बदलता पहाड़
सदियों की कहानी वो पनघट का
बदलती जवानी बदलती कहानी।
खिलती हवाएँ और मिलती दुवाएँ।
लम्बी सी रातें और चूल्हे पर बातें।
संस्कृति पुरानी और यादें लुभानी
बदलती जवानी बदलती कहानी।
बीत्ता है बचपन बीत्त गई जवानी
सावन की रातें हल्की बरसातें।
त्यौहारों की रौनक पकवानों की खुशबू
भक्ति के सागर में निष्ठा ओर आरजू।
फूलों की खुशबू में भौरों के गीत
भोली सी सूरत में पशुओं से प्रीत।
भूल रहा पहाड़ अपनी ये रीत
सदियों की कहानी वो पनघट का पानी
बदलती जवानी ओर बदलती कहानी।
नवीन चन्द्र (रिंकेश)
(घाट-चमोली)