लोक पर्व हरेला पर काव्य पाठ का आयोजन - नेहरू युवा केन्द्र की पहल पर कलम क्रांति साहित्यिक मंच व अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के तत्वावधान में हरेला पर्व के अवसर पर विचार गोष्ठी एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रकृति ,संस्कृति तथा मानव जीवन के बीच परस्पर सम्बन्ध को लेकर विचार प्रस्तुत किए गए।कलम क्रांति साहित्यिक मंच की संस्थापिका शशि देवली के द्वारा "मां वसुन्धरा का नित नया श्रृंगार होना चाहिए, धरोहर है यह अपनी हमको निसार होना चाहिए" कविता का पाठ किया गया। मनोज तिवारी द्वारा वृक्ष लगाने के संकल्प अभियान के विचार को लेकर "धरा के ये आभूषण हैं पर्यावरण के ये आभूषण हैं" कविता का पाठ किया गया।राजा तिवारी ने "मौन सभी हैं इस धरती पर चिपको वाली धरती"कविता के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त की। अनिरुद्ध सिनवाल ने "झूम उठेंगी नदियां सारी मेघों की बौछार में,गूंज उठेंगे शिव के मन्दिर सावन के त्योहार में" कविता का पाठ किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के जिला प्रबंध जगमोहन चोपता ने कहा कि यह लोक पर्व पर्यावरण संरक्षण के साथ ही हमारी अरण्य लोक संस्कृति को भी बचाए रखने का सन्देश देता है। नेहरू युवा केंद्र समन्वयक डॉ योगेश धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड की वन पंचायत देश में पर्यावरण संरक्षण की अद्भुत मिशाल है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में आज 12 हजार वन पंचायते जन सहभागिता से सामाजिक वानिकी और वन प्रबन्धन के साथ पशुपालन आधारित कार्य व्यवस्था का उत्कृष्ट उदाहरण है।
इस अवसर पर नोडल अधिकारी डाॅ सुमन ध्यानी,सद्धाम हुसैन, सुबोध कुमार,नीलम कुंवर, मिनाक्षी राणा, देवेन्द्र सिंह दानू आदि उपस्थित रहे।