गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने किया सड़क का उद्घाटन

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं गढ़वाल लोकसभा के सांसद माननीय तीरथसिंह रावत ने बदरीनाथ विधानसभा के अंतर्गत पीएमजीएसवाई की दो सड़कों का उद्घाटन किया।
1-उडामांडा चौंडी रोता मोटर मार्ग का लोकार्पण किया
2-pmgsy योजना मोहनखाल -से ताली कंसाली तक लगभग 7.77 किलोमीटर लागत401.50लाख रुपये।
 उन्होंने कहा कि किसान की भाग्य रेखा सड़क ही है। गांव-गांव को सड़क से जोड़ना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी की सरकार का लक्ष्य है। हमारी केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार पहला लक्ष्य सड़कों के माध्यम से गांव- गांव को जोड़ना है। साथ ही किसानों की आय दोगुनी हो , बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार देने के लिए भी सरकारें प्रतिबद्ध हैं।इस ओर सकारात्मक पहल शुरू है।


सभी को इसका लाभ लेना चाहिए। वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से जहां सारा विश्व त्रासिद है वहीं भारत के प्रधानमंत्री मा0 नरेंद्र मोदी जी ने 20 लाख करोड़ रुपए की आर्थिक पैकेज की घोषणा कर विभिन्न आयामों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। वहीं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से देश के सभी गरीबों एवं प्रवासियों को नवंबर माह तक 5किलोग्राम राशन एक किलो ग्राम दाल देने की घोषणा कर गरीबों की मदद कर रहे हैं। इस अवसर पर क्षेत्रवासियों ने माननीय सांसद का ढो्ल नगाड़ों से स्वागत किया। इस अवसर पर बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट, जिला अध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट, जिला अध्यक्ष रुद्रप्रयाग दिनेश उनियाल, जिला प्रभारी विजय कापरवान, पर्व राज्यमंत्री बीना बिष्ट, अशोक खत्री, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष शकुंतला जगवाण, नगर पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद पंत, पोखरी ग्रामीण मंडल अध्यक्ष वीरेंद्रपाल सिंह भंडारी, नगर मंडल अध्यक्ष जितेंद्र सती अध्यक्ष नगर मंडल गोपेश्वर विनोद कनवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य गजपाल बर्तवाल ग्रामीण मंडल सांसद प्रतिनिधि डॉक्टर मातवर सिंह रावत जिला मीडिया प्रभारी महावीर सिंह रावत भाजपा वरिष्ठ नेता दिगपाल सिंह नेगी जिला महामंत्री समीर मिश्रा जिला पंचायत सदस्य अनूप कुमार  जिला सोशियल मिडिया प्रमुख सुनील कुमार मंडल अध्यक्ष विनोद कनवासी कर्नल हरेन्द्र सिंह रावत बत्सला सती विजयपाल सिंह रावत ग्राम प्रधान रोता बिरेन्द्र सिंह राणा,  ग्राम प्रधान सिनाऊतल्ला त्रिलोक सिंह श्रीमती देवेश्वरी रमेश चौधरी मयंक पंत रोहित रावत अंकित अभिषेक बर्तवाल भरत चौधरी प्रदीप ग्राम प्रधान बंगथल ललित मिश्रा क्षेत्रपंचायत सदस्य श्रीमती राधा रानी रावत पुष्पा देवी शुभाष रावत अंकित भंडारी ग्रिश रावत ग्राम प्रधान थाला दीपक थपलियाल आदि सभी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन जिला महामंत्री समीर मिश्रा ने किया।


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काली शिला की पूजा-अर्चना से मनुष्य को अभीष्ट फल मिलता है - ऊखीमठ से लक्ष्मण नेगी की खास रिपोर्ट : ऊखीमठ - देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरती धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से साधना के क्षेत्र में अपना सर्वोत्कृष्ट स्थान रखती है, वास्तव में सिद्धि पाने के लिए साधना सदा शान्त, एकान्त और सिद्ध स्थलों में ही लाभप्रद होती है। वेदव्यास की चिन्तन भूमि, पाण्डवों का स्वर्गारोहण, उद्वव की तपस्थली, राजा भगीरथ की साधना स्थली, आदिगुरु शंकराचार्य को प्रेरणा देने वाली और महाकवि कालिदास को जन्म देकर विश्व विख्यात बनाने वाली यह हिमालय की पावन धरती है, इसलिए हिमालय के उत्तराखण्ड को तपस्या के लिए सभी तपस्वियों ने चयन किया है। देवभूमि उत्तराखंड वास्तव में ऐसी मुख्य रमणीक देव स्थली है जहाँ कनखल सती कुण्ड से लेकर 12 हजार फीट के उतंग शिखरों पर शक्तिदात्री माँ के अनेक सिद्धपीठ विधमान हैं। यदि मानव के ह्दय में इन सिद्धपीठों के प्रति विश्वासमयी भावना हो तो जगत जननी माँ के दर्शन किसी न किसी रुप में किये जा सकते हैं। इसलिए शक्ति की साधना को ही समस्त कार्यो की सिद्धि माना जाता है! माँ जगत जननी की महिमा का वर्णन ऋषि मुनियों ने भी बड़ी गहनता से किया है तथा सर्व शक्तिमान देवताओं को भी सदा ही अपनी विपदाओं के निवारणार्थ इसी आध्या शक्ति की ही उपासना करनी पडी है।परम पिता भगवान शंकर व जगत जननी मोक्षदायिनी माँ भवानी की इस तपोभूमि उत्तराखंड के कण - कण में अवस्थित देवी के शक्तिपुजो में जो मानव अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है वह व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोग कर अन्त में मोक्ष को प्राप्त कर युगों तक शिवलोक में पूजनीय होता है। केदार घाटी के अन्तर्गत सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोस दूर विशाल पर्वत पर विराजमान भगवती काली का तीर्थ काली शिला नाम से विश्व विख्यात है। इस तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला है तथा विशाल शिला पर 64 यंत्र विधमान हैं, भगवती काली शिला की पूजा करने से अखिल कामनाओं व अर्थों की पूर्ति होती है। काली शिला तीर्थ मधु गंगा व सरस्वती नदियों के मध्य विशाल पर्वत पर है! भगवती काली शिला मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी मानी जाती है! मदमहेश्वर घाटी के राऊलैक तथा कालीमठ घाटी के ब्यूखी गाँव से पैदल मार्गों से सिद्धपीठ काली शिला पहुंचा जा सकता है। इस तीर्थ में भगवती काली के मन्दिर की पूजाये देव स्थानम् बोर्ड तथा विशाल शिला की पूजा स्थानीय हक - हकूकधारियों द्वारा की जाती है।भगवती काली शिला की महिमा का वर्णन क्रूम पुराण के अध्याय 56 के श्लोक संख्या चार में शिलातले मदं न्यस्त नास्तिकानां शब्दों में किया गया है जबकि महाकवि कालिदास ने भी काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन गहनता से किया है। स्कन्ध पुराण के केदारखण्ड के अध्याय 89 के श्लोक संख्या 40 से 49 में काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन विस्तार से किया गया है, केदारखण्ड में कहा गया है कि सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोश दूर पर्वत पर रणमण्डना नाम से महादेवी हैं! वहाँ जाने पर मनुष्य स्वस्थ देवीलोक को प्राप्त करता है। शरद व बसन्त ऋतुओं के नवरात्रों में जो मनुष्य भक्ति पूर्वक भगवती काली को नैवैध चढा़ता है वह देव लोक में युगों तक पूजनीय होता है तथा वह घुंघरूओं के समूह की माला से युक्त उत्तम विमान पर सवार होकर चारों ओर अप्सराओं के समूह, गन्धवों,सिद्धों और किन्नरो से शोभायमान हो सूर्य मण्डल का भेद करके मुनिवरो के अभीष्ट एवं दु:ख रहित ब्रह्मलोक को जाता है। यह तीर्थ समस्त पापों का शमन करने वाला और सकल उपद्रवों का नाश करने वाला है! नित्य दान करने वाले मनुष्यों को यह तीर्थ ऐश्वर्य देने वाला है! इस पर्वत पर महाकाली ने आकाश में उछलकर अत्यन्त दृढ़ हाथों से पृथिवी को ताडित किया था।आज भी वहाँ हाथों का अत्यन्त निर्मल चिह्न दिखाई देते हैं , तपस्या की सिद्धि देने वाला यही उत्तम स्थान है, इस पर्वत पर सिद्ध, गन्धर्व और किन्नर देवी के साथ सुखपूर्वक विचरण करते है।भगवती काली का पावन तीर्थ काली शिला की पूजा - अर्चना करने से मनुष्य को पुत्र पौत्रादि की प्राप्ति व यश वृद्धि का अभीष्ट फल मिलता है! इस तीर्थ में दशकों से बाबा बरखा गिरी। मुक्तेश्वर गिरी व जर्मनी निवासी सरस्वती माई भगवती काली की भक्ति में तत्लीन है! शिक्षाविद देवानन्द गैरोला,चन्द सिंह नेगी इं0कृष्ण कुमार सिंह बिष्ट अनिल जिरवाण,धीर सिंह नेगी विनोद नेगी साध्वी सरस्वती बताते है कि इस तीर्थ में एक रात्रि निवास करने से मनुष्य को परम आनन्द की अनुभूति होती है! हरेन्द्र खोयाल,शिव सिंह रावत,रवींद्र भट्ट. दलीप रावत, मदन भटट् रणजीत रावत का कहना है कि काली शिला तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला की परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया है।
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