चमोली जिले के घाट में स्थित बैरासकुंड में सावन के पहले सोमवार को दिन भर भक्तों का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने भगवान शिव शंकर को जलाभिषेक कर मनौती मांगी। रावण की तपो भूमि बैरासकुंड महादेव का मन्दिर विकास नगरघाट में स्थित है। यह मन्दिर पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ महादेव शिव का प्राचीन मन्दिर है, जिसकी पूजा अर्चना सदियों से होती चली आ रही है।
कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में शिव के परम भक्त रावण ने महादेव शिव की अखण्ड तपस्या की थी। रावण संहिता व केदारखण्ड़ शास्त्र आदि धार्मिक ग्रंथों में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है। इस मन्दिर का उल्लेख त्रेतायुग से ही आरम्भ हो गया था। आज भी महादेव शिव के दर्शनों के लिए भक्तों की संख्या कतार में लगी रहती है। यहां मन्दिर के आगे एक कुण्ड भी है, जिसमें पानी की मात्रा काफी अधिक है। कथाओं के अनुसार जब रावण के घनघोर तप करने के बाद भी महादेव शिव ने रावण को दर्शन नहीं दिये तो रावण ने इसी स्थान पर शिवतांडव तथा जाप कर शिव की आराधना की और अपने दस सिर शिव को चढ़ा कर उन्हें प्रसन्न किया। इस स्थान पर जहाँ – जहाँ पर दस स्थानों पर रावण ने अपने सर रखे उन स्थानों को दसमोली कहा जाता है। सावन के पहले सोमवार को बैरासकुंड मंदिर में दिनभर भक्तों का तांता लगा रहा। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भोलेनाथ के दर्शन कर मनौती मांगी।