चमोली जिला मुख्यालय से सटा सैकोट गांव की रोपाई पूरे जिले में मशहूर - अनुराग थपलियाल सैकोट चमोली

चमोली जिले का एक ऐसा गांव जहां पर आजकल सभी ग्रामीणाें द्वारा गांव में रोपाई की जा रही है। सभी गांववासी अपनी सांस्कृतिक रीति-रिवाजों के अनुसार वाद्य यंत्रों से रोपाई का शुभारंभ करते हैं, और एकएक परिवार करके सभी परिवारों की रोपाई मिलजुल कर लगाते हैं।  आषाढ़ का महीना हो और बात धान की रोपाई की न हो ये बात हजम नहीं होती है आषाढ़ के महीने में सैकोट मालधार गांव में धान की रोपाई अपने चरम पर है आज भी रोपाई को पुराने रीती रिवाज से ही लगाई जाती है। रोपाई में सब एक दूसरे का सहयोग (पड्याव) करते है रोपाई एक दूसरे की सहायता से संभव नही है आज भी रोपाई में ढ़ोल दमाऊ और जीतू बगड़वाल्के जागर गाए जाते है रोपाई में सभी लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है मान्यता है की 9 गते अषाढ़ को पंवार जाति के लोग अपनी रोपाई नहीं लगाते हैं!


चमोली जिला मुख्यालय से सटा सैकोट गांव की रोपाई पूरे जिले में मशहूर है। सैकोट के ग्रामीण आज भी अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हुए वाद यंत्रों की थाप पर रोपाई का कार्य शुरू करते हैं। आज भी ग्रामीणों द्वारा अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाया जा रहा है और एकता का संदेश भी दिया जा रहा है। लगभग एक महीने तक चलने वाली रोपाई में ग्रामीणों द्वारा हर दिन अलग-अलग परिवार की रोपाई लगाई जाती है।