भराड़ीसैंण में बनेगा 695 बैंड का कोविड केयर सेंटर - अनुराग थपलियाल

जिले में बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए भराडीसैंण में कोविड केयर सेंटर (सीसीसी) संचालित किया जाएगा। भराडीसैंण में 695 बैड का कोविड केयर सेंटर स्थापित करने के साथ ही जल्द यहाॅ पर बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों का इलाज किया जाएगा। शासन के निर्देशानुसार बिना लक्षण वाले मरीजों को अब अस्पताल में भर्ती नही किया जाएगा। ऐसे मरीजों को अब कोविड केयर सेंटर में ही रखा जाएगा। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक लेते हुए भराडीसैंण में शीघ्र कोविड केयर सेंटर (सीसीसी) के संचालन हेतु सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बताया कि भराडीसैंण में कोविड केयर सेंटर के लिए आवासों को अधिग्रहित किया जा चुका है। यहाॅ पर 695 बैड तैयार है। बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों को अस्पताल के बजाय यहाॅ पर भर्ती किया जाएगा। डाॅक्टरों की टीम इन मरीजों की निगरानी करेगी। यदि किसी मरीज का स्वास्थ्य में गिरावट आती है तो उसे कोविड अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा अन्यथा गाइड लाइन के अनुसार केयर सेंटर से ही डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सीसीसी के संचालन हेतु मेडिकल आॅफिसर, फेसलिटी मैनेजर, डाॅक्टर, स्टाफ नर्स, वार्ड वाॅय, स्वीपर, इत्यादि स्टाॅफ की तत्काल तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बिना लक्षण वाले कोविड मरीजों के इलाज हेतु स्पोर्टिंग स्टाॅफ को प्रशिक्षित करने को कहा। कोविड केयर सेंटर भराडीसैंण में पर्याप्त संख्या में पीपीई किट, मास्क, सेनेटाइजर, औषधि की व्यवस्था के साथ ही एम्बुलेंस की तैनाती भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने बताया कि बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों के लिए जिले में शीघ्र ही एक हजार बैड तैयार किए जाएगे। उन्होंने कहा कि बिना लक्षण वाले मरीजों को वायरस कोई नुकसान नही पहुंचाता पर ये अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते है। ऐसे में कोविड केयर सेंटर में रखकर इलाज दिया जाएगा और ठीक होने पर डिस्चार्ज किया जाएगा। बैठक में स्वास्थ्य संबधी अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी हंसादत्त पांडे, सीएमओ डा0 केके सिंह, सीएमएस डा0 जीवन सिंह चुफाल एवं स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे। 



Popular posts
प्रांतीय उद्योग मंडल द्वारा व्यापार मंडल की कार्यकारिणी भंग, नई की अधिसूचना जारी - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ
Image
छह दिवसीय उद्यमिता विकास प्रशिक्षण संपन्न - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ
Image
सात दिवसीय पौराणिक मांगल मेले का समापन - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ
Image
हरेला : जल विद्युत निगम व केदारनाथ दास सेवा मंडल द्वारा रुच्छ महादेव मंदिर में किया गया पौधरोपण - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ
Image
काली शिला की पूजा-अर्चना से मनुष्य को अभीष्ट फल मिलता है - ऊखीमठ से लक्ष्मण नेगी की खास रिपोर्ट : ऊखीमठ - देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरती धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से साधना के क्षेत्र में अपना सर्वोत्कृष्ट स्थान रखती है, वास्तव में सिद्धि पाने के लिए साधना सदा शान्त, एकान्त और सिद्ध स्थलों में ही लाभप्रद होती है। वेदव्यास की चिन्तन भूमि, पाण्डवों का स्वर्गारोहण, उद्वव की तपस्थली, राजा भगीरथ की साधना स्थली, आदिगुरु शंकराचार्य को प्रेरणा देने वाली और महाकवि कालिदास को जन्म देकर विश्व विख्यात बनाने वाली यह हिमालय की पावन धरती है, इसलिए हिमालय के उत्तराखण्ड को तपस्या के लिए सभी तपस्वियों ने चयन किया है। देवभूमि उत्तराखंड वास्तव में ऐसी मुख्य रमणीक देव स्थली है जहाँ कनखल सती कुण्ड से लेकर 12 हजार फीट के उतंग शिखरों पर शक्तिदात्री माँ के अनेक सिद्धपीठ विधमान हैं। यदि मानव के ह्दय में इन सिद्धपीठों के प्रति विश्वासमयी भावना हो तो जगत जननी माँ के दर्शन किसी न किसी रुप में किये जा सकते हैं। इसलिए शक्ति की साधना को ही समस्त कार्यो की सिद्धि माना जाता है! माँ जगत जननी की महिमा का वर्णन ऋषि मुनियों ने भी बड़ी गहनता से किया है तथा सर्व शक्तिमान देवताओं को भी सदा ही अपनी विपदाओं के निवारणार्थ इसी आध्या शक्ति की ही उपासना करनी पडी है।परम पिता भगवान शंकर व जगत जननी मोक्षदायिनी माँ भवानी की इस तपोभूमि उत्तराखंड के कण - कण में अवस्थित देवी के शक्तिपुजो में जो मानव अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है वह व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोग कर अन्त में मोक्ष को प्राप्त कर युगों तक शिवलोक में पूजनीय होता है। केदार घाटी के अन्तर्गत सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोस दूर विशाल पर्वत पर विराजमान भगवती काली का तीर्थ काली शिला नाम से विश्व विख्यात है। इस तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला है तथा विशाल शिला पर 64 यंत्र विधमान हैं, भगवती काली शिला की पूजा करने से अखिल कामनाओं व अर्थों की पूर्ति होती है। काली शिला तीर्थ मधु गंगा व सरस्वती नदियों के मध्य विशाल पर्वत पर है! भगवती काली शिला मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी मानी जाती है! मदमहेश्वर घाटी के राऊलैक तथा कालीमठ घाटी के ब्यूखी गाँव से पैदल मार्गों से सिद्धपीठ काली शिला पहुंचा जा सकता है। इस तीर्थ में भगवती काली के मन्दिर की पूजाये देव स्थानम् बोर्ड तथा विशाल शिला की पूजा स्थानीय हक - हकूकधारियों द्वारा की जाती है।भगवती काली शिला की महिमा का वर्णन क्रूम पुराण के अध्याय 56 के श्लोक संख्या चार में शिलातले मदं न्यस्त नास्तिकानां शब्दों में किया गया है जबकि महाकवि कालिदास ने भी काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन गहनता से किया है। स्कन्ध पुराण के केदारखण्ड के अध्याय 89 के श्लोक संख्या 40 से 49 में काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन विस्तार से किया गया है, केदारखण्ड में कहा गया है कि सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोश दूर पर्वत पर रणमण्डना नाम से महादेवी हैं! वहाँ जाने पर मनुष्य स्वस्थ देवीलोक को प्राप्त करता है। शरद व बसन्त ऋतुओं के नवरात्रों में जो मनुष्य भक्ति पूर्वक भगवती काली को नैवैध चढा़ता है वह देव लोक में युगों तक पूजनीय होता है तथा वह घुंघरूओं के समूह की माला से युक्त उत्तम विमान पर सवार होकर चारों ओर अप्सराओं के समूह, गन्धवों,सिद्धों और किन्नरो से शोभायमान हो सूर्य मण्डल का भेद करके मुनिवरो के अभीष्ट एवं दु:ख रहित ब्रह्मलोक को जाता है। यह तीर्थ समस्त पापों का शमन करने वाला और सकल उपद्रवों का नाश करने वाला है! नित्य दान करने वाले मनुष्यों को यह तीर्थ ऐश्वर्य देने वाला है! इस पर्वत पर महाकाली ने आकाश में उछलकर अत्यन्त दृढ़ हाथों से पृथिवी को ताडित किया था।आज भी वहाँ हाथों का अत्यन्त निर्मल चिह्न दिखाई देते हैं , तपस्या की सिद्धि देने वाला यही उत्तम स्थान है, इस पर्वत पर सिद्ध, गन्धर्व और किन्नर देवी के साथ सुखपूर्वक विचरण करते है।भगवती काली का पावन तीर्थ काली शिला की पूजा - अर्चना करने से मनुष्य को पुत्र पौत्रादि की प्राप्ति व यश वृद्धि का अभीष्ट फल मिलता है! इस तीर्थ में दशकों से बाबा बरखा गिरी। मुक्तेश्वर गिरी व जर्मनी निवासी सरस्वती माई भगवती काली की भक्ति में तत्लीन है! शिक्षाविद देवानन्द गैरोला,चन्द सिंह नेगी इं0कृष्ण कुमार सिंह बिष्ट अनिल जिरवाण,धीर सिंह नेगी विनोद नेगी साध्वी सरस्वती बताते है कि इस तीर्थ में एक रात्रि निवास करने से मनुष्य को परम आनन्द की अनुभूति होती है! हरेन्द्र खोयाल,शिव सिंह रावत,रवींद्र भट्ट. दलीप रावत, मदन भटट् रणजीत रावत का कहना है कि काली शिला तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला की परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया है।
Image