आत्महत्या केवल एक इंसान को नहीं मारती - सुनीता सेमवाल "ख्याति"

विषय - आत्महत्या


आत्महत्या केवल एक इंसान को नहीं मारती ।
वो मारती है .........
             किसी की उम्मीदों को,
             तो  किसी के अधिकारों को।                                           
वो अपने साथ मार देती है .......
             किसी के ख्वाबों को, तो
             किसी की मुस्कानों को।
आत्महत्या केवल एक इंसान को नहीं मारती ................
            वो  मारती है अवसाद और                      
           नाउम्मीदी में डूबे हर दिल को।
वो मारती है जीत के लिए जूझने वाली हर परिस्थिति को.......... 
         आत्महत्या केवल एक इंसान    
         को नहीं मारती .........
वो मारती है इंसान की उपलब्धियों को, वो मार देती है उसके आखिरी क्षण तक किए गए परिश्रम को,
उसकी पहचान को। 
आत्महत्या केवल इंसान के शरीर को
नहीं मारती............
वो भावनाओं और आशाओं के साथ-साथ ,
मारती है इंसान की हिम्मत को ।
तो क्या कहना है आपका ????????
इतने सारे कत्ल करने वाली, आत्महत्या को गले लगाना, 
क्या सही फैसला है ?????????


स्वरचित 
सुनीता सेमवाल "ख्याति"
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड