- ग़ज़ल
जमीनी परिंदों को उडाना पड़ेगा,
कई ख्वाब हैं जिन्हें मिटाना पड़ेगा,
तुम मिलोगी जब कभी तन्हा मुझे,
कई आंसू है जिन्हें छुपाना पड़ेगा,
पूछोगी जब तुम हाले दिल मेरा,
क्या कहूंगा जो तुम्हें बताना पड़ेगा,
कई खत है तुम्हारे मेरे किताबों में,
किसी वजह से तो इन्हें जलाना पड़ेगा,
कई गम है इस दिल में तुम्हारे खातिर,
मिलोगी तुम तो फिर मुस्कुराना पड़ेगा,
मिलेगा जब भी उसका हाथ मुझको,
किसी तरह तो कसकर दबाना पड़ेगा,
तु आईना भी देखेगा जब अनिरुद्ध,
तुझे फिर से ये किस्सा सुनाना पड़ेगा,
*अनिरुद्ध सिनवाल*