जोशीमठ क्षेत्र के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित पांडव कालीन श्री बंशीनारायण धाम के कपाट भी विधि विधान पूर्वक बदरी विशाल भगवान के कपाट के देव मुहूर्त पर खोल दिये गए है। ग्राम पुजारी और अवतारी पश्वा द्वारा चतुर्भुज रूपी भगवान श्री बंशी नारायण के कपाट खोलने के पश्चात भगवान बंशी नारायण जी का भोग नवेद प्रसाद के साथ विशेष अभिषेक पूजा अर्चना सम्पन कराई गई। कपाट खुलने के इस पावन अवसर पर ग्राम प्रधान कलगोठ श्रीमती वीरा देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य नरेंद्र सिंह,पूर्व प्रधान दलीप सिंह,बलवंत सिंह, मंदिर समिति के अध्यक्ष भरत सिंह, महिला मंगल दल प्रभारी सरिता देवी,महेश्वरी देवी, सहित कई नारायण भक्त मौजूद रहे।चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक की इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित वंशीनारायण मंदिर तक पहुंचना बहुत विकट है।जोशीमठ से उर्गम घाटी तक वाहन से पहुंचने के बाद आगे 12 किलोमीटर का जोखिम भरा सफर पैदल ही चलना पड़ता है। पांच किलोमीटर दूर तक फैले बुग्याली घास के हरे भरे मैदानों को पार कर सामने नजर आता है प्रसिद्ध पौराणिक पहाड़ी कत्यूरी शैली में बना वंशीनारायण भगवान विष्णु का ये अलौकिक दिव्य मंदिर। दस फुट ऊंचे इस मंदिर में भगवान की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है। परंपरा के अनुसार यहां मंदिर के पुजारी हिंदू राजपूत हैं। गाँव के ही कुछ बुजुर्ग पौराणिक आख्यानों का हवाला देते हुए बताते हैं कि बामन अवतार धारण कर भगवान विष्णु ने दानवीर राजा बलि का अभिमान चूर कर उसे पाताल लोक भेजा। बलि ने भगवान से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया। इस पर श्रीहरि विष्णु स्वयं पाताल लोक में बलि के द्वारपाल हो गए। ऐसे में पति को मुक्त कराने के देवी लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची और राजा बलि के राखी बांधकर भगवान को मुक्त कराया। किवदंतियों के अनुसार पाताल लोक से भगवान यहीं प्रकट हुए।अब बंशी नारायण धाम के कपाट खुल चुके हैं ऐसे में अब रक्षा बंधन के दिन यहाँ भव्य मेला का आयोजन होगा। जब भगवान नारायण खुद गाँव की कन्याओं से रक्षा सूत्र बंधवाने बंशी नारायण धाम आते हैं और सब ध्याणियों और बेटियों की रक्षा का वचन देते हैं।
शुक्रवार को उच्च हिमालय में स्थित भगवान वंशीनारायण के कपाट खुले - संजय कुंवर जोशीमठ