🌹🌹मां🌹🌹
आज एक बार फिर
अपनी ऊंघती आंखों में
बसाए सपनों की
रंगीन डोली में
बिठाकर
वो रसभरी
लोरी सुना दे मां
वो पल - पल की
दुवाओं से
जी उठते
जो मेरे अरमान
वो आज एक बार
फिर से
दोहरा दे तू मां।
वो धूल व चूल्हे की
राख से
लथ पथ हाथों से
बदलती
तुम मेरी कमजोरियों को
ताकत की राह दिखाती
घूंट - घूंट आंसू पीकर
आज एक बार फिर
मुझे अमृत पिला दे मां
तुम्हारे शब्द
जो मेरी रूह में
नवचेतना जगाते
जो मुझे
क्षितिज तक का
हौंसला दिखाते
आज एक बार फिर
अपने हौसलों में
चेतना जगा दे तू मां।
शशि देवली
चमोली गोपेश्वर उत्तराखंड