विषय-माँ
दिन-रविवार
दिनांक-10,5,2020
विधा-स्वतंत्र
माँ एक शब्द नही,
बच्चे का संसार है।
माँ सिर्फ आँचल नही,
पूरा संसार है।।
माँ ममता की मूरत,
ढेर सारा प्यार उमड़े।
नदिया की धार सी,
ममत्व की फुहार सी।।
माँ बसन्त सी सुंदर,
हरे भरे खेतों सी।
सह मुश्किलों को,
मुस्कुराती बहार सी।।
माँ तपती धूप में,
मन्द मन्द फुहार सी।
माँ एक शब्द नही,
बच्चे की आत्मा ।।
निस्वार्थ भाव जिसका,
निश्छल प्यार उसका।
ये शब्द नही भाव है,
माँ हरा भरा संसार है।।
माँ घर की धुरी तुम,
कभी डांटती, दुलारती।
बच्चे को पुचकारती,
माँ तुम अमृत सी।।
माँ है तो घर मन्दिर,
भावनाओं का समंदर।
बच्चे का अरमान,
माँ तुम्हे प्रणाम।।
- मनोज तिवारी,,निशान्त,,