जिस देश में बूढ़ा पीपल भी आदर से पूजा जाता, वहां बूढ़े मां-बाप की खातिर क्यों वृद्ध - आश्रय बना दिये? - सुनीता सेमवाल

💐💐बूढा पीपल💐💐


जिस देश में बूढा पीपल भी,आदर से पूजा जाता है।
वहाँ बूढ़े माँ-बाप की खातिर,क्यों  वृद्ध- आश्रम बना  दिये?
जिस देश में अतिथि आगमन भी, देव -आगमन समझा जाता है।
वहांँ अपने ही जन्म दाताओं को, क्यों बंद दरवाजे दिखा दिये?
ये कैसी आधुनिकता है, ये कैसी निर्लज्ज सोच हुई?
जिस माँ की कोख से जन्म लिया, वो मांँ भी हम पर बोझ हुई।
 है ये कैसी उन्नति?ये किस दिशा में हम जा रहे?
ये अपनी अगली पीढ़ी को, हम क्या संस्कार सिखा रहे?
 क्यों बीता कल हम भूल गये? जब हम मांँ-बाप पर निर्भर थे।
 फिर भी उनकी नजरों में, हम ही सबसे बढ़कर थे।
क्यों उनसे कुछ कहने सुनने का, आज वक्त हमारे पास नहीं?
 क्यों उनके अकेलेपन का, हमें जरा भी एहसास नहीं?
याद करें गर हम वो पल, जब बीमार हम होते थे।
मांँ रहती थी सिरहाने पे, पापा भी पास में होते थे।
फिर आज क्यों उनकी एक खांँसी भी, हमको कांँटों सी चुभती है?
 उनकी रातों की बेचैनी, हर लम्हा हमें अखरती है।
क्या इस तिरस्कार की खातिर ही, उन्होंने हमको पाला था?
भूखे पेट रातों में जाग, बडे़ स्कूलों में डाला था।
था कल जिन कंधों पे नाज उन्हें, वो क्यों उनकी लाचारी हो गये?
 और जो मांँ-बाप हमारे सब कुछ थे, वो आज जिम्मेदारी हो गये।
 सब पाओगे तुम, जो बोओगे तुम ये कर्मों का बहीखाता है।
इतिहास अपने आपको, वापस जरूर दोहराता है।
 संँभल जाओ और सोचो तुम, ये बहीखाता तभी सुधरेगा।
तभी फलोगे फूलोगे  तुम,जब घर का बूढ़ा पीपल दुआ देगा। 



स्वरचित
 सुनीता सेमवाल
( रुद्रप्रयाग उत्तराखंड)