हिमाच्छादिता भाल मां भारती का, सजे नित्य ही साज है आरती का - भगत सिंह राणा " हिमाद"

 


" माँ भारती "
भुजंग प्रयात छंद 
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हिमाच्छादिता भाल माँ भारती का l 
सजे नित्य ही साज है आरती  का ll 
करोड़ों  दिलों में  खुशी  छा रही है l 
वहीं  मान  सम्मान माँ पा  रही  है ll 


सजा  थाल  तेरा लता  मञ्जरी से l 
लगाऊं  तुझे  भोग माँ  पिंजरी  से ll 
नदी   हार  तेरे   गले   में   सुहाती l 
महापापियों के घृणा  को  बहाती ll 


महामानवी   की  धरा   तू  कहाती l 
महाराग  हे माँ ! सभी को सुनाती ll 
सुरों  की  धरा है सभी की जुबानी l 
शिवानी  भवानी  सुनाती  कहानी ll 


हजारों  तपों  से  तपी   मात  तू है l 
जला ज्ञान का  दीप माँ साथ तू है ll 
जहाँ  कृष्ण  गीता  सुनाये पुनीता l 
सिखाती जहाँ ज्ञान माता  सुनीता ll 


कहीं कोकिला  गीत  गाथा सुनाये l 
कहीं  भँवरे   राग   फूलों   लुभाये ll 
रसालों   भरे   बाग  हैं   मात   तेरे l 
मिले  दर्श   तेरा  सदा   ही   सवेरे ll 


(पिंजरी आंचलिक शब्द ) /पंजीरी = महाप्रसाद l 



  • भगत सिंह राणा  ' हिमाद '
    तपोवन -  चमोली 
        उत्तराखण्ड