" वेदना " ( कष्ट)
अपनी कलम से आज में,
अपनी ही वेदना लिख रही हूँ |
किसी को क्या रखूँ शब्दों में,
जब खुद ही बेहाल जी रही हूँ ||
बचपन में था बस रोना-रोना,
न था पता, न कोई समझा पाया
माँ थी अपने नसीब भरे दुख में,
प्यार न मुझे कोई कर पाया ||
दुधमुही बच्ची को पिता छोड़ गये,
जान न पाती, न जिद् कर पाती |
उस वेदना को क्या कहुँ, जिंदगी जो छोड़ गये,
6 महिने की छोड़कर अब रोकर दिल बहलाती ||
हुयी बढ़ी, खुलकर रोना भूल गयी हैं,
दिल में रखा सबको, देखना भूल गयी हैं,
भले साथ न दिया किसी ने मुशीबत में,
अब वो रिश्ता समझना भी सीख गयी हैं ||
कष्ट भरी जिंदगी आज भी याद हैं,
आंसू टपका रही थी, जब माँ साथ में |
न था किसी का सहारा, न था पास कोई,
जब पड़ी थी उस अस्पताल के बिस्तर में ||
हर वेदना याद हैं मुझे,
हर लम्हा सताता हैं मुझे,
आज भले बनावटी रिश्ते बहुत हैं,
पर हर मुशीबत का दौर याद हैं मुझे ||
कष्ट बहुत सहे हैं जिंदगी में,
आने वाला कल खुशहाल चाहती हूँ |
बस माँ की खुशी के लिए,
अपना चेहरा हर वक़्त मुस्कराता चाहती हूँ ||
अनीशा रावत ✍️
गोपेश्वर ( चमोली )
उत्तराखंड 😊