हर वेदना याद हैं मुझे हर लम्हा सताता हैं मुझे, आज भले बनावटी रिश्ते बहुत हैं हर मुशीबत का दौर याद हैं मुझे! - अनीशा रावत

 


" वेदना " ( कष्ट) 


अपनी कलम से आज में, 
अपनी ही वेदना लिख रही हूँ |
किसी को क्या रखूँ शब्दों में, 
जब खुद ही बेहाल जी रही हूँ ||


बचपन में था बस रोना-रोना, 
न था पता, न कोई समझा पाया 
माँ थी अपने नसीब भरे दुख में, 
प्यार न मुझे कोई कर पाया ||


दुधमुही बच्ची को पिता छोड़ गये, 
जान न पाती, न जिद् कर पाती |
उस वेदना को क्या कहुँ, जिंदगी जो छोड़ गये, 
6 महिने की छोड़कर अब रोकर दिल बहलाती ||


हुयी बढ़ी, खुलकर रोना भूल गयी हैं, 
दिल में रखा सबको, देखना भूल गयी हैं, 
भले साथ न दिया किसी ने मुशीबत में, 
अब वो रिश्ता समझना भी सीख गयी हैं ||


कष्ट भरी जिंदगी आज भी याद हैं, 
आंसू टपका रही थी, जब माँ साथ में |
न था किसी का सहारा, न था पास कोई, 
जब पड़ी थी उस अस्पताल के बिस्तर में ||


हर वेदना याद हैं मुझे, 
हर लम्हा सताता हैं मुझे,
आज भले बनावटी रिश्ते बहुत हैं, 
पर हर मुशीबत का दौर याद हैं मुझे ||


कष्ट बहुत सहे हैं जिंदगी में, 
आने वाला कल खुशहाल चाहती हूँ |
बस माँ की खुशी के लिए, 
अपना चेहरा हर वक़्त मुस्कराता चाहती हूँ ||


अनीशा रावत ✍️
गोपेश्वर ( चमोली  ) 
उत्तराखंड 😊