विषय,,परवाह
विधा-स्वतंत्र
कौन परवाह करें,
रंजो गम की,
दिनों के गुजरने पर,
ये भी गुजर जाएंगे।
अच्छे वक़्त की ,
तलाश में सब्र रख,
दौर बुरा है ये,
कौन परवाह करें।
रात भारी है बहुत,
उजालो की तलाश में,
अंधेरो में परछाई की,
कौन परवाह करें।
वक़्त रुक गया,
न जाने क्यों,
इंसा घर ,परिंदे आसमाँ में,
कौन परवाह करे।
दौर बुरा ये बदलेगा जरूर,
इंसा इंसा से मिलेगा जरूर,
काली घटाए हटेगी जरूर,
रोशनी बिखेरेगी जरूर।
- मनोज तिवारी,,निशान्त,,