चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के कपाट 18 मई सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाएंगे संजय कुंवर

रुद्रनाथ : रुद्रनाथ देश का पहला तीर्थ है जहां भगवान शिव के मुखाकृति के दर्शन होते हैं। इसे पितरों का तारण करने वाला श्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है। इस साल 18 मई इस तीर्थ के कपाट खुल जायेंगे। कहा जाता है कि रुद्रनाथ तीर्थ में ही देवर्षि नारद ने भगवान शंकर को कनखल (हरिद्वार) में दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ कराने के दौरान देवी सती के दाह की सूचना दी थी। रुद्रनाथ में ही नारद को भगवान शिव ने नाद ब्रहम, पिण्डोत्पत्ति, रागोत्पत्ति, संगीतशास्त्र, गीत शास्त्र एवं श्रृंगार शास्त्र का ज्ञान दिया। भगवान रुद्रनाथ यहां गुफा में विराजते हैं। यह विशाल गुफा दो खंडों में है। भगवान रुद्रेश्वर का दर्शन, निर्वाण एवं श्रृंगार, दोनों रूपों में होता हे। कुछ बांई ओर झुकी मूर्ति मुखमुद्रा यह प्रदर्शित करती है कि भगवान नीलकंठ प्रसन्न मुद्रा में विचारवान हैं। रुद्रनाथ तीर्थ देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना जाता है। केदारनाथ के रूप में इस तीर्थ को चतुर्थ केदार कहा जाता है। सती द्वारा दक्ष प्रजापति के यज्ञ में योगाग्नि द्वारा भस्म होने पर भगवान शंकर क्रोध में थे। देवर्षि नारद ने उन्हें यह सूचना दी। सूचना मिलते ही भगवान शंकर ने अपने जटाजूट से केश उखाड़कर पटक डाले। जिस स्थान पर यह केश गिरे उससे नन्दी, वीरभद्र आदिगण प्रकट हुए। उन्होंने दक्ष प्रजापति का यज्ञ भंग कर दिया। रुद्रनाथ पहुंचने के लिए पहला मार्ग गोपेश्वर के ग्राम ग्वाड़-देवलधार, किन्नखोली-किन महादेव होते हुए, दूसरा मार्ग मण्डल चट्टी-अत्रि अनसूया आश्रम होते हुए, तीसरा मार्ग गोपेश्वर सगर ज्यूरागली-पण्डार होते हुए, चौथा मार्ग ग्राम देवर मौनाख्य- नौलाख्य पर्वत पनार खर्क होते हुए जाता है। कोरोना संकट के चलते इस बार कुछ ही लोग कपाट खुलने के शुभ मुहूर्त पर उपस्थित होंगे। चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट 18 मई को ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाएंगे।