भगवान तुंगनाथ की उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ से सोमवार को धाम के लिए होगी रवाना - लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

ऊखीमठ! पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली सोमवार को अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ से अपने धाम के लिए रवाना होगी! भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम रवाना होने के लिए जिला प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की गाइडलाइन जारी तो नहीं की गयी मगर सूत्रों की माने तो 12 से 15 हक- हकूधारियो को भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली को शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ से धाम तक पहुचाने की अनुमति मिल सकती है!                         मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को भगवान तुगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ में विद्वान आचार्यों द्वारा परम्परानुसार भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों का पंचाग पूजन के तहत महाभिषेक किया जायेगा तथा लग्नानुसार भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को डोली में विराजमान कर भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का विशेष श्रृंगार कर आरती उतारी जायेगी। लगभग सुबह दस बजे भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अनेक देवी - देवताओं के निशाणों के साथ अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ से हिमालय के लिए रवाना होगी तथा खेत - खलिहानों में नृत्य करते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गाँव के मध्य विराजमान भूतनाथ मन्दिर पहुंचेगी जहाँ पर ग्रामीणों द्वारा परम्परा के अनुसार पुणखी मेले का आयोजन कर भगवान तुगनाथ को नये अनाज का भोग अर्पित कर विश्व कल्याण व क्षेत्र के खुशहाली  की कामना की जायेगी। मंगलवार को भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मन्दिर से रवाना होकर पावजगपुणा, चिलियाखोड, बनिया कुण्ड, सुरम्य मखमली बुग्यालों से होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी तथा बुधवार को भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर तुगनाथ धाम पहुंचेगी तथा पूर्व निर्धारित तिथि के अनुसार 11:30 बजे भगवान तुगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेगें!   पुणखी मेले की परम्परा है पौराणिक......     भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ से हिमालय रवाना होने के पावन अवसर पर भूतनाथ मन्दिर में लगने वाले पुणखी मेले की परम्परा प्राचीन है! पुणखी मेले में ग्रामीणों द्वारा खेतों में लकड़ी के चूल्हे जलाकर अनेक प्रकार के पकवान बनाकर भगवान तुंगनाथ को अर्पित कर आगामी यात्रा के निर्विघ्न समपन्न होने के साथ विश्व कल्याण की कामना की जाती है। पुणखी मेले के आयोजन से सभी श्रद्धालुओं में आपसी भाईचारा बना रहता है।पुणखी मेले में सभी ग्रामीण धियाणी,प्रवासी व अतिथि शामिल होते हैं! प्रधान विजयपाल नेगी का कहना है कि पुणखी मेले में प्रतिभाग कर अलग ही आनन्द की अनुभूति होती है! तीर्थ पुरोहित भूपेंद्र मैठाणी का कहना है कि भगवान तुगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ से हिमालय रवाना होते समय लगने वाले पुणखी मेले की परम्परा प्राचीन है।