लॉकडाउन : गौचर रिलीफ सेंटर में ठहरे मजदूर नियमित योग, व्यायाम और पुस्तक बढ़कर सुखी जीवन के गुरु सीखें रहे हैं - संजय कुंवर चमोली

गौचर रिलीफ सेंटर में रह रहे मजदूर नियमित योग, व्यायाम के साथ पुस्तकें पढ़कर सुखी जीवन जीने के गुरू सीख रहे हैं। चमोली जिला प्रशासन ने इन मजदूरों के लिए न केवल भोजन, मनोरंजन और ठहरने की व्यवस्था की है बल्कि इसके साथ इन मजदूरों को शारीरिक और मानसिक तौर पर भी फिट रखने की खास पहल की है। दरअसल कोरोना संकट में लाॅकडाउन के चलते जिले से पलायन को आतुर इन मजदूरों को जिला प्रशासन ने रिलीफ सेंटर में रूकने की व्यवस्था की। लाॅकडाउन में काम बंद होेने से इन मजदूरों को दो वक्त की रोटी की चिन्ता सताने लगी थी। ऐसे में इन मजदूरों ने यहाॅ से पलायन का मन बनाया था। चमोली जिला प्रशासन को इसकी भनक लगी तो जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने इन मजदूरों के लिए रिलीफ सेंटर में ठहरने की व्यवस्था की गई। रिलीफ सेंटर भेजे जाने पर पहले तो ये सभी मजदूर परेशान हो रहे थे। उनको चिन्ता थी की जब काम ही नही तो भोजन कहाॅ से मिलेगा। परन्तु जिलाधिकारी की पहल पर राजकीय पाॅलीटेक्निक गौचर में इन मजदूरों को नाश्ते से लेकर दोनो टाईम के भोजन के अलावा टूथपेस्ट, साबुन, तौलिया जैसे जरूरी सामान भी दिया गया। 
रिलीफ सेंटर के निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने मजदूरों के मनोरंजन के लिए टीवी भी लगवाया और ज्ञानबर्धक पुस्तकें दिलाई। कर्णप्रयाग में तैनात तहसीलदार सोहन सिंह रांगड तो कुछ दिन पहले अपने बेटे का जन्म दिन इन मजदूरों के साथ मना चुके हैं। अपने बेटे के जन्म पर उन्होंने मजदूरों के लिए खास पकवान खिलाए और फल भी बांटे। रिलीफ सेंटर में मजदूर शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट रहे इसके लिए भी जिला प्रशासन ने खास पहल की है। प्रशासन इन मजदूरों को नियमित योग और व्यायाम सिखाने के अलावा इनकी काउसिलिंग भी करवा रहा है। अब ये सभी 34 मजदूर एक परिवार की तरह रिलीफ सेंटर में रहने लगे है और जिला प्रशासन से मिल रही हर मदद से बेहद खुश है। नियमित व्यायाम, योग और ज्ञानबर्धक पुस्तकें पढ़कर इन मजदूरों के चेहरों पर तेज साफ दिख रहा है। क्या कहते है रिलीफ सेंटर में रह रहे मजदूर लोग - रिलीफ सेंटर में रह रहे मुरादाबाद के रंजीत पाल, सहारनपुर के अभिनय, नेपाल के प्रेम बहादुर और बरेली के शिव कुमार बताते है कि आज तक हमने सिर्फ काम के बारे में ही सोचा, लेकिन यहाॅ रहकर पहली दफा अपने जीवन के बारे में भी सोचने का मौका मिला। बताया कि हम सब एक परिवार की तरह यहाॅ पर रह रहे है और जिला प्रशासन की मदद से बेहद खुश हैं।