छात्रों के लिए अच्छी खबर : चमोली जिले में अब घर बैठे मिलेगी पढ़ने की सुविधा - संजय कुंवर चमोली

सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए अच्छी खबर!अब घर बैठे मिलेगी पढ़ने की सुविधा- नेटवर्क नही तो भी पढ़ाई कर सकेंगे छात्र।जिला प्रशासन ने नेटवर्क की समस्या का निकाला तोड़ लाॅकडाउन अवधि में सरकारी स्कूलों के बच्चे भी अब घर बैठे पढाई कर सकेंगे। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया की पहल पर शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की पढ़ाई के लिए तत्काल आॅफलाईन मोबाइल ई-लर्निंग व्यवस्था शुरू की जा रही है ताकि इन बच्चों को भी घर पर रहते पढ़ने की सुविधा मिल सके। विद्यार्थी या उनके अभिभावकों बस एक बार को छोटी छोटी ई-लर्निंग ओडियों/वीडियों डाउनलोड करनी होगी। इसके बाद नेटवर्क की आवश्यकता नही रहेगी। आॅफलाईन रहकर भी बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे।गुरूवार को जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों की बैठक ली।  उन्होंने मुख्य शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि सभी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के सभी विद्यार्थियों का व्हेटसेएप गु्रप बनाए और विशेषज्ञ टीचरों के माध्यम से प्रत्येक कक्षा के किन्ही दो कठिन विषयों में ई-लर्निंग ओडियो/वीडियों तैयार की जाए और व्हेटसेएप गु्रप के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाए। ताकि लाॅकडाउन में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो और घर बैठे ही अपनी पढ़ाई कर सके। उन्होंने कहा कि बच्चों को पढ़ाने के लिए सभी अध्यापकों से चैपटर का रोस्टर निर्धारित कराया जाए और रेन्डमली फोन करके बच्चों से पढ़ाई का फीडबैक भी लें। प्रत्येक 15 दिनों में बच्चों का टेस्ट लेने के लिए जिला स्तर से टेस्ट पेपर भी तैयार करें।जिलाधिकारी ने कहा कि लाॅकडाउन से बच्चों की पढ़ाई में ज्यादा व्यवधान न हो इसके लिए आॅफलाईन मोबाइल ई-लर्निंग की अस्थाई व्यवस्था की जा रही है। एक बार ओडियो/वीडियों डाउनलोड करने पर बच्चे आॅफलाईन भी इस वीडियों को कई बार देखकर अपनी पढ़ाई कर सकते है। जिन क्षेत्रों बिलकुल ही नेटवर्क नही है उन क्षेत्रों में बच्चों को नोट्स उपलब्ध कराने को कहा गया। जिलाधिकारी ने कहा कि लाॅकडाउन अवधि में बुक विक्रेताओं की दुकानें को खुलने की छूट प्रदान की गई है। अभिभावन बुक विक्रेताओं से किताब और काॅपियां भी ले सकते है। जिलाधिकारी के निर्देशानुसार विशेषज्ञ अध्यापकों के माध्यम से कक्षा 9 से 12 तक दो विषयों पर आधारित प्रत्येक अध्याय की मोबाईल ई-लर्निंग ओडियो/वीडियो तैयार कराई जा रही है और जल्द ही ई-लर्निंग ओडियो/वीडियों को वट्सएप ग्रुप में उपलब्ध कराया जाएगा। छात्र एक बार इसे डाउनलोड करके आॅफलाइन रहकर भी पढ़ाई कर सकते हैं। जिला प्रशासन के इस कदम से जहाॅ विद्यार्थियों में खुशी की लहर है वहीं अभिभावक भी जिला प्रशासन के इस कदम की सराहना करते हुए आभार व्यक्त कर रहे हैं।


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काली शिला की पूजा-अर्चना से मनुष्य को अभीष्ट फल मिलता है - ऊखीमठ से लक्ष्मण नेगी की खास रिपोर्ट : ऊखीमठ - देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरती धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से साधना के क्षेत्र में अपना सर्वोत्कृष्ट स्थान रखती है, वास्तव में सिद्धि पाने के लिए साधना सदा शान्त, एकान्त और सिद्ध स्थलों में ही लाभप्रद होती है। वेदव्यास की चिन्तन भूमि, पाण्डवों का स्वर्गारोहण, उद्वव की तपस्थली, राजा भगीरथ की साधना स्थली, आदिगुरु शंकराचार्य को प्रेरणा देने वाली और महाकवि कालिदास को जन्म देकर विश्व विख्यात बनाने वाली यह हिमालय की पावन धरती है, इसलिए हिमालय के उत्तराखण्ड को तपस्या के लिए सभी तपस्वियों ने चयन किया है। देवभूमि उत्तराखंड वास्तव में ऐसी मुख्य रमणीक देव स्थली है जहाँ कनखल सती कुण्ड से लेकर 12 हजार फीट के उतंग शिखरों पर शक्तिदात्री माँ के अनेक सिद्धपीठ विधमान हैं। यदि मानव के ह्दय में इन सिद्धपीठों के प्रति विश्वासमयी भावना हो तो जगत जननी माँ के दर्शन किसी न किसी रुप में किये जा सकते हैं। इसलिए शक्ति की साधना को ही समस्त कार्यो की सिद्धि माना जाता है! माँ जगत जननी की महिमा का वर्णन ऋषि मुनियों ने भी बड़ी गहनता से किया है तथा सर्व शक्तिमान देवताओं को भी सदा ही अपनी विपदाओं के निवारणार्थ इसी आध्या शक्ति की ही उपासना करनी पडी है।परम पिता भगवान शंकर व जगत जननी मोक्षदायिनी माँ भवानी की इस तपोभूमि उत्तराखंड के कण - कण में अवस्थित देवी के शक्तिपुजो में जो मानव अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है वह व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोग कर अन्त में मोक्ष को प्राप्त कर युगों तक शिवलोक में पूजनीय होता है। केदार घाटी के अन्तर्गत सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोस दूर विशाल पर्वत पर विराजमान भगवती काली का तीर्थ काली शिला नाम से विश्व विख्यात है। इस तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला है तथा विशाल शिला पर 64 यंत्र विधमान हैं, भगवती काली शिला की पूजा करने से अखिल कामनाओं व अर्थों की पूर्ति होती है। काली शिला तीर्थ मधु गंगा व सरस्वती नदियों के मध्य विशाल पर्वत पर है! भगवती काली शिला मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी मानी जाती है! मदमहेश्वर घाटी के राऊलैक तथा कालीमठ घाटी के ब्यूखी गाँव से पैदल मार्गों से सिद्धपीठ काली शिला पहुंचा जा सकता है। इस तीर्थ में भगवती काली के मन्दिर की पूजाये देव स्थानम् बोर्ड तथा विशाल शिला की पूजा स्थानीय हक - हकूकधारियों द्वारा की जाती है।भगवती काली शिला की महिमा का वर्णन क्रूम पुराण के अध्याय 56 के श्लोक संख्या चार में शिलातले मदं न्यस्त नास्तिकानां शब्दों में किया गया है जबकि महाकवि कालिदास ने भी काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन गहनता से किया है। स्कन्ध पुराण के केदारखण्ड के अध्याय 89 के श्लोक संख्या 40 से 49 में काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन विस्तार से किया गया है, केदारखण्ड में कहा गया है कि सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोश दूर पर्वत पर रणमण्डना नाम से महादेवी हैं! वहाँ जाने पर मनुष्य स्वस्थ देवीलोक को प्राप्त करता है। शरद व बसन्त ऋतुओं के नवरात्रों में जो मनुष्य भक्ति पूर्वक भगवती काली को नैवैध चढा़ता है वह देव लोक में युगों तक पूजनीय होता है तथा वह घुंघरूओं के समूह की माला से युक्त उत्तम विमान पर सवार होकर चारों ओर अप्सराओं के समूह, गन्धवों,सिद्धों और किन्नरो से शोभायमान हो सूर्य मण्डल का भेद करके मुनिवरो के अभीष्ट एवं दु:ख रहित ब्रह्मलोक को जाता है। यह तीर्थ समस्त पापों का शमन करने वाला और सकल उपद्रवों का नाश करने वाला है! नित्य दान करने वाले मनुष्यों को यह तीर्थ ऐश्वर्य देने वाला है! इस पर्वत पर महाकाली ने आकाश में उछलकर अत्यन्त दृढ़ हाथों से पृथिवी को ताडित किया था।आज भी वहाँ हाथों का अत्यन्त निर्मल चिह्न दिखाई देते हैं , तपस्या की सिद्धि देने वाला यही उत्तम स्थान है, इस पर्वत पर सिद्ध, गन्धर्व और किन्नर देवी के साथ सुखपूर्वक विचरण करते है।भगवती काली का पावन तीर्थ काली शिला की पूजा - अर्चना करने से मनुष्य को पुत्र पौत्रादि की प्राप्ति व यश वृद्धि का अभीष्ट फल मिलता है! इस तीर्थ में दशकों से बाबा बरखा गिरी। मुक्तेश्वर गिरी व जर्मनी निवासी सरस्वती माई भगवती काली की भक्ति में तत्लीन है! शिक्षाविद देवानन्द गैरोला,चन्द सिंह नेगी इं0कृष्ण कुमार सिंह बिष्ट अनिल जिरवाण,धीर सिंह नेगी विनोद नेगी साध्वी सरस्वती बताते है कि इस तीर्थ में एक रात्रि निवास करने से मनुष्य को परम आनन्द की अनुभूति होती है! हरेन्द्र खोयाल,शिव सिंह रावत,रवींद्र भट्ट. दलीप रावत, मदन भटट् रणजीत रावत का कहना है कि काली शिला तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला की परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया है।
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