(संकट) 

खुद पर हो विश्वास अगर, पत्थर पानी बन जाए। 
मेहनत का नशा हो जग में,जीवन सफल बन जाए। 


शिक्षित सुयोग्य हो जीवन, हर वृक्ष पुष्पित हो जाए। 
 मन में हो श्याम अगर, प्रेम सुगंध से भर आए।


राह अगर अम्बर तक हो,काँटे  पुष्प बन जाए। 
चाह अगर जीने की हो, पल पल से क्यों घबराए। 


संकट के इस मौसम में, सेवा भाव में हाथ बढायें।
तन मन संयम धैर्य, सर्मपण का दीप जलायें ।


                            नवीन (रिंकेश)
                         नन्दा धाम (कुरूड़)


                          घाट चमोली